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पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है:
बादशाह, गरीब व दरिद्र, मालदार, एकदम कमजोर मनुष्य का, स्वादिष्ट भोजन करने वाले का, सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।
कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है वे रूप इस प्रकार हैं:
सकारात्मक नकारात्मक
बादशाह दीन-दरिद्र
मालदार कमज़ोर
स्वादिष्ट भोजन खाता इन्सान सूखी रोटियाँ खाता इन्सान
चोर पर निगाह करने वाला जूतियाँ चुराने वाला
जान न्यौछावर करने वाला जान लेने वाला
सहायता करने वाला अपमान करने वाला
शरीफ़ लोग कमीने लोग
अच्छे लोग बुरे लोग।
इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नजीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमीं’
यह पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी हैं क्योंकि इन पंक्तियों से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सद्गुणों को अपना कर अच्छा आदमी बनना है। हमें बुराईयों का त्याग कर देना चाहिए। बुराइयाँ व्यक्ति को बुरा आदमी बना जाती है। समाज में अच्छे आदमी का ही आदर होता है, बुरे का नहीं।
(क) टुकड़े चबाना- कब तक तुम भाई के टुकड़े चबाते रहोगे, कुछ काम क्यों नहीं करते।
(ख) पगड़ी उतारना- भरी सभा में मंत्री जी ने सेठ हीरामल की कंजूसी का वर्णन करते हुए उनकी पगड़ी ही उतार दी।
(ग) मुरीद होना- इन दिनों क्रिकेट के दीवाने सचिन तेंदुलकर के मुरीद हो गए हैं।
(घ) जान वारना- देश की आज़ादी के लिए असंख्य वीरों ने अपनी जान वार दी।
(ड) तेग मारना- मोहन ने भागते हुए चोर को तेग मारकर घायल कर दिया।
कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?
शिल्प सौन्दर्य-
1. कवि ने मनुष्य जीवन की अलग-अलग स्थितियों का चित्रन किया है।
2. हिन्दी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है।
3. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग दृष्टव्य हैं।
7. ‘सो है वह भी आदमी’ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है।
8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
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D.
विभिन्न परिस्थितियों का मनोरम चित्रणD.
सभी आदमी एक समान अवस्था में नही होतेशिल्प सौन्दर्य-
1. संसार में भिन्न प्रकार के परस्पर विरोधी काम करने वाले लोग हैं। वे सब आदमी के भिन्न-भिन्न रूप हैं।
2. हिन्दी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है।
3. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग दृष्टव्य हैं।
7. ‘सो है वह भी आदमी’ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है।
8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
मसज़िद के बाहर जूते चोरी करने वाला
B.
मसज़िद के बाहर जूते चोरी करने वाला
शिल्प सौन्दर्य-
1. कवि ने मनुष्य की परस्पर विरोधी भूमिकाएँ दिखाकर अद्भुत प्रभाव उत्पन्न किया है।
2. हिन्दी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है।
3. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग दृष्टव्य हैं।
7. ‘सो है वह भी आदमी’ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है।
8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
A.
दूसरों को अपमानित करनाD.
सहायता के लिए दौड़ा आता हैशिल्प सौन्दर्य-
1. इसमें आदमी की परस्पर विरोधी भूमिकाएँ दिखाकर अद्भुत प्रभाव उत्पन्न किया गया है।
2. हिन्दी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है।
3. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग दृष्टव्य हैं।
7. ‘सो है वह भी आदमी’ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मनमोहकता आ गई है।
8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
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