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आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी

Question
CBSEENHN9000825

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए
यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो मी आदमी

Solution
कवि कहते हैं कि एक आदमी दूसरे आदमी पर अपनी जान भी न्योछावर कर देता है। दूसरी ओर दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति तलवार से वार कर उसे मार डालता है। समय पड़ने पर दूसरे आदमी की पगड़ी उतारने अर्थात् बेइज्जती करने में जरा भी देर नही लगाता। आवश्यकता पड़ने पर अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे को चिल्ला कर पुकारने वाला भी आदमी है जो आदमी सुरक्षा की पुकार को सुनकर उसे बचाने के लिए दौड़ता है, वह भी आदमी है। आदमी के विभिन्न रंग-रूप है। उसकी बदलती परिस्थितियाँ उसे भिन्न भूमिका में ला खड़ा करती है।

Some More Questions From आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी Chapter

निम्नलिखत अंशों की व्याख्या कीजिए-
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस—ओ—गदा है सी है वो भी आदमी

निम्नलिखत अंशों की व्याख्या कीजिए-
अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर

निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनकी ताड़ता है सो है वो भी आदमी

निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।

नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)        फ़न (कौशल)
राज (शासन)       फ़न (साँप का मुँह)
जरा (थोड़ा)        फ़लक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा)      फ़लक (लकड़ी का तख्ता)
ज़ फ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।

निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्य में कीजिए-
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना

कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?

 

आदमी का आचरण कैसा होना चाहिए? कविता के आधार पर लिखिए।

निम्नलिखित पंक्तिओं का भाव पक्ष लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

निम्नलिखित पंक्तिओं का शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी