Question
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनकी ताड़ता है सो है वो भी आदमी
Solution
उपर्युक्त छंद में कवि ने यह व्यंग्य किया है कि इस संसार में जहाँ एक ओर तो कुछ लोग मस्जिद में कुरान शरीफ़ पढ़ने और नमाज़ अदा करने जाते हैं पर उनमें से कुछ ऐसे आदमी भी होते हैं, जो वहाँ आने वालों की जूतियाँ चुराते हैं। उन जूता चोरों पर नजर रखने वाले भी आदमी ही होते हैं। जूता चोरों और उन पर नज़र रखने वालों का ध्यान परमात्मा की ओर नहीं बल्कि अपने- अपने शिकार पर होता है।



