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आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी

Question
CBSEENHN9000818

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए:
मसज़िद भी आदमी ने बनाई है या, मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी हो कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको, ताड़ता  है सो है वो भी आदमी

Solution
भाव पक्षकवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रंग रूपो व स्वभाव का वर्णन करते हुए कहता है, कि इस दुनिया में मसज़िद बनाने वाला भी आदमी है, वह भी आदमी है जो मसज़िद में बैठ कर नमाज़ पढ़ता है और जो कुरान शरीफ का अर्थ समझाता है, वह भी आदमी है। जो सामान्य मुसलमान उन इमामों से कुरान का अर्थ सुनते हैं और नमाज़ पड़ते हैं, वे भी आदमी हैं। इन सबके विपरीत जो दुष्ट मसजिद में आकर इमामों, नमाजियों की जूतियाँ चुरा कर ले जाते हैं, वे भी आदमी हैं, जो लोग ऐसे चोरों पर नज़र रखते हैं, वे भी आदमी हैं।

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निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।

नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)        फ़न (कौशल)
राज (शासन)       फ़न (साँप का मुँह)
जरा (थोड़ा)        फ़लक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा)      फ़लक (लकड़ी का तख्ता)
ज़ फ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।

निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्य में कीजिए-
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना

कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?

 

आदमी का आचरण कैसा होना चाहिए? कविता के आधार पर लिखिए।

निम्नलिखित पंक्तिओं का भाव पक्ष लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

निम्नलिखित पंक्तिओं का शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

निम्नलिखित पंक्तिओं का पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

आदमी की क्या पहचान है?

निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

आदमी के भोजन के विषय में क्या कहा गया है?



निम्नलिखित पंक्तिओं को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सी है वो भी आदमी

ज़रदार बेनवा से क्या तात्पर्य है-