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एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुन्द्र से घिरा हो-
तट
प्रायद्वीप
द्वीप
इनमें से कोई नहीं
B.
प्रायद्वीप
जो सघन अर्धतरल चट्टानों के ऊपर तैरती रहती है। उन्हें भूगर्भीय प्लेटें कहते है। इसके दो प्रकार होते है-महाद्वीप और महासागरीय प्लेटें।
आज के कौन-से महाद्वीप गोंडवाना लैंड के भाग थे?
आज के निम्नलिखित महाद्वीप गोंडवाना लैंड के भाग थे-
i) ऑस्ट्रेलिया
ii) अफ्रीका
iii) दक्षिण अमेरिका
iv) एशिया
'भाबर' क्या है?
नदियाँ पर्वतों से नीचे उतारते समय शिवालिक की ढल पर 8 से 16 कि.मी.कि चौड़ी पट्टी में गुटिका का निरीक्षण करती हैl इसे भाबर के नाम से जाना जाता हैl
हिमाचल के तीन प्रमुख विभागों के नाम से उत्तर में दक्षिण के क्रम में बताइए।
अपसारी तथा अभिसारी भुगर्भीय प्लेटें
अपसारी प्लेटें - दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती है तब अपसारी परिसीमा का निर्माण होता हैं। जब प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती है, तब समुंद्री सतह का निर्माण हो सकता हैं।
अभिसारी भुगर्भीय प्लेटें - दो प्लेटें एक दूसरे के करीब आने पर अपसारी परिसीमा का निर्माण करती है। जब दो प्लेटें एक दूसरे के करीब आती है तो या तो वे टूट सकती है या फिर एक प्लेट फिलसलकर दूसरी प्लेट के नीचे आ सकती है।
बांगर और खादर में अंतर
बांगर - ये पुरानी जलोढ़ मिट्टि वाले भू-भाग है। इस प्रकार की जलोढ़ के लगतार एकत्रित होने पर छज्जे जैसी संरचना बन जाती है, जो बाढ़ प्रभावी मैदान के स्तर जितनी ऊपर उठ जाती है। कंकरो के संरक्षण के कारण यह जगह प्रायः अनुर्वर रहती है।
खादर - नवीनतम और बाढ़ मैदानों का युवा संग्रहण खादर कहलाता है। लगभग हर वर्ष इसकी मिट्टि बदलती रहती है। अतः यह उपजाऊ और प्रचुर पैदावार के लिए उपयुक्त है।
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट
पूर्वी घाट | पश्चिमी घाट |
(i) पूर्वी घाट पूर्वी तट के समानांतर स्थित है।
|
(i) पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित है। |
बताइए हिमालय का निर्माण कैसे हुआ था?
(i) प्राचीन गोंडवाना लैंड संवहनीय धाराओं के प्रभाव से कई टुकड़ो में विभाजित हो गया इनका ही एक हिस्सा इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट था।
(ii) इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट उत्तर की तरफ खिसकती हुई यूरेशियन प्लेट से टकरा गई जो की उससे बहुत बड़ी थी।
(iii) इसी टक्कर के कारण टेथिस सागर में जमा हुई अवसादी चट्टानें मुड़ने लगीं। इसी मुड़ाव के कारण पश्चिमी एशिया तथा हिमालय के मोड़दार पर्वतीय तंत्र का जन्म हुआ।
भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौन-से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अंतर है?
भारत के भू-आकृतिक विभाग निम्नलिखित है-
हिमालय पर्वत
उत्तरी मैदान
प्रायद्वीप पठार
भारतीय मरुस्थल
तटीय मैदान
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में अंतर इस प्रकार है-
हिमालय | प्रायद्वीपीय पठार |
(i) हिमालय भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित है। |
|
भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन लिखिए।
(i) उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहयक नदियों से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन (द्रोणी) में जलोढ़ो का निक्षेप हुआ। इससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ।
(ii) इसका विस्तार 7 लाख वर्ग कि.लो. लम्बा एवं 240 से 320 कि. मी. चौड़ा है। यह सघन जनसँख्या वाला भौगौलिक क्षेत्र है। समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्याघिक उत्पादक क्षेत्र है।
(iii) यह भारत का सबसे सघन बसा हुआ क्षेत्र है। पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र के उच्च जनसँख्या घनत्व वाले क्षेत्र है।
(iv) उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। सिंधु तथा इसकी सहयक नदी झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास तथा सतलुज हिमालय से निकलती है। मैदान के इस भाग में दोआबों की संख्या बहुत अधिक है।
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्णियाँ लिखिए:
भारत के द्वीप समूह
भारत के दो द्वीप समूह:
बंगाल की खाड़ी-
बंगाल की खाड़ी के अंतर्गत अंडमान एवं निकोबार समूह आते है। यह 250 वर्ग किलो मीटर में फैले लगभग 250 द्वीपो से मिलकर बना है। ये द्वीप ज्वालामुखीय उत्पति के है। भारत का एकमात्र सक्रीय ज्वालमुखी यहाँ बैरन द्वीप पर स्थित है। बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह हरे भरे वनों से ढ़के है यहाँ भूमध्य-रेखीय जलवायु पाई जाती है।
अरब सागर के द्वीप-
अरब सागर के अंतर्गत लक्षद्वीप समूह आते है। यह सिर्फ 32 किलो मीटर में फैले 32 द्वीपो से मिलकर बना है। ये मुख्यतः प्रवाल द्वीप है। जिसका निर्माण पॉलिप नमक सूक्ष्मदर्शी जीवों से हुआ है। यह द्वीप समूह मुख्यतः वनस्पति और जैव विवधता के लिए जाना जाता है। यहाँ भू मध्यरेखीय जलवायु पाई जाती है।
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
मध्य हिमालय
मध्य हिमालय का सर्वाधिक हिस्सा असम में है। इन श्रंखलाओं का निर्माण मुख्य रूप से अत्यधिक संपीड़ित तथा परवर्तित शैलों में हुआ है। इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लम्बी तथा सबसे महत्वपूर्ण शृंखला है। धौलाधार एवं महाभारत श्रंखलाएँ भी महत्वपूर्ण हैं। इसी शृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं। धर्मशाला, डलहौजी, शिमला, नैनीताल, मसूरी, दार्जीलिंग आदि कई पर्वतीय नगर भी इसके निचले भागों में स्थित हैं।
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
मध्य उच्च भूमि
नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों में फैला है, मध्य उच्च भूमि के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ-चंबल, सिंधु, बेतवा तथा केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ बहती हैं। मध्य उच्च भूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है। इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसके और पूर्व के विस्तार के दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटानागपुर पठार दर्शाता है।
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प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत का वर्णन करें?
माहाद्वीपों, महासागरीय, द्रोणियों और विभिन्न स्थालाकृतियों के निर्माण से सम्बन्धित भूगर्भ शास्त्रीयों द्वारा प्रतिपादित सर्वमान्य सिद्धांत प्लेट विवर्तनिक का सिद्धांत है। इस सिद्धांत केअनुसार पृथ्वी की उपरी पर्पटी सात बड़ी एवं कुछ छोटी प्लेटों से बनी है। भूगर्भ शास्त्रियों केअनुसार लाखों वर्ष पहले संसार एक वृहतम महाद्वीप पैंजिया जो विशालकाय महासागर पैंथालसा से घिरा था, वर्तमान महाद्वीप और उसमें समाहित महासागर का निर्माण संवहनीय प्रवाह के कारण भूपर्पटी के टूटने तथा उनके संचरण से हुआ है।
भारत के प्रमुख भौतिक विभागों के नाम लिखें ? किन्हीं एक भौतिक विभाग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
समुंद्र तटीय मैदान: भारत का प्रायद्वीपीय पठार पूरब और पश्चिम में पतले समुंद्र तटीय मैदान से घिरा है।पश्चिम तटीय मैदान एक पतली पट्टी है जो अरबसागर के साथ-साथ फैला हुआ है तथा इसके पूरब में पूर्वी घाट अवस्थित है। इस पश्चिमी तटीय मैदान का उतरी भाग कोंकण ( मुम्बई से गोवा) कहलाता है। मध्यवर्ती भाग कन्नड़ तथा दक्षिणी भाग मालावार तट कहलाता है।
बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है। उतरी भाग में इसे उतरी सरकार कहा जाता है जबकी दक्षिणी भाग को कोरोमण्डल तट के नाम से जाना जाता है।
भारत के उतरी मैदान का निर्माण कैसे हुआ है? संक्षेप मे वर्णन करें।
टेथिस सागर में लगातार अवसादों के निक्षेपण से ऊँचे उठे हुए हिस्से से उतरी मैदान का निर्माण हुआ।
उतरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों - सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना हैं। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षो में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिंग (द्रोणी) में जलोढ़ो का निक्षेप हुआ, जिससे, इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ। समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकुल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।
जैसे ही हिमालय का उत्थान हुआ नदियां, हिमानी और अपरदन के दूत अपरदन कार्य में सक्रिय हो गए । परिणामस्वरूप विशाल अवसाद के अवसादीकरण के कारण टेथिस सिकुड़ता गया ।
पूर्वी और पश्चिमी घाट कहाँ पर स्थित हैं? प्रत्येक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
पूर्वी और पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय पठार के क्षेत्र में स्थित है। पश्चिमी तट के समानान्तर दक्कन के पठार के पश्चिमी किनारे में पश्चिमी घाट है। पूर्वी घाट दक्कन पठार के पूर्वी किनारे में स्थित है। यह दक्षिण में नीलगिरी पहाड़ी से महानदी घाटी तक फैला हुआ है। पूर्वी तटीय मैदान पूरब की ओर जाता है। पश्चिमी घाट लगातार है जिसे थाल, भोर, और पाल घाट नामक दर्रों से पार किया जा सकता है। यह सापेक्षत: ऊँचा औसत (900 से 1600 मीटर) है। कोई भी नदी इस घाट को काटकर पार नही कर पाई है।
पूर्वी घाट लगातार नहीं फैला है। पश्चिमी घाट की अपेक्षा यह नीचा है। यह बंगाल की खाड़ी से गिरनेवाली नदियों से अनेक भागों में बँटा है।
विंध्य और अरावली श्रेणी के बीच कौन सा पठार स्थित है? इस पठार पर सक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
मालवा का पठार विंध्य और अरावली श्रेणियों के बीच स्थित है। अरावली की पहाड़ियाँ पश्चिम में तथा विंध्य श्रेणी इसके दक्षिण में स्थित है। प्रायद्वीपीय पठार का यह भाग जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थिति है उसे मध्य उच्च भूमि के नाम से जाना जाता है। मालवा पठार मध्यप्रदेश में है। ये बहुत अधिक अपरदित एवं खण्डित पहाड़ियाँ हैं। चम्बल नदी के समीप या उसके पूर्व यह पठार अनेक नदियों द्वारा विस्तृत रूप से अनेक भागों में बँटा है।
प्रवाल क्या है? उस द्वीप का नाम बताये और वर्णन करे जो प्रवालों से बना है?
प्रवाल सुक्ष्मतम जीव है जो एक आवरण के अन्दर रहते हैं । इनका विकास छिछले, स्वच्छ और गर्म जल में होता है। यह कैल्सियम कार्बोनेट से बना है। प्रवाल के कंकाल से ही प्रवाल अवसाद का निर्माण हुआ। लक्षदीप एक प्रवाल द्वीप है जो केरल के मालावार तट के समीप प्रवालों से बना एक छोटा सा द्वीप था।
'भाबर' और 'तराई' का वर्णन करें।
नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि. मी. के चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इसे 'भाबर' के नाम से जाना जाता हैं। सभी सरिताएँ इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं। इस पट्टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुनः निकल आती हैं। एवं नम तथा दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं, जिससे 'तराई' कहा जाता है।
वृहत् श्रेणी के विभिन्न भागों पर टिप्पणी लिखें।
गोण्डवानालैण्ड से भारत के निर्माण का वर्णन करें।
उत्तर मैदान और प्रायदीपीय पठार में अन्तर बताएँ।
उत्तर का मैदान:
1. भूगर्भिक दृष्टि से उत्तर के मैदान का निर्माण वर्तमान भूगर्भिक काल से हुआ है।
2. उत्तर का मैदान अत्याधुनिक स्थलरूप है।
3. नदी प्रणालियों ने उत्तर के मैदान को नया रूप और आकार दिया है।
4. यह उपजाऊ समतल मैदान है।
5. उत्तर मैदान का निर्माण नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ मृदा से हुआ है।
6. उत्तर का उपजाऊ मैदान तीन भागों में बंटा है।
(क) पंजाब के मैदान का निर्माण सिंधु और उसकी सहायक नदियों द्वारा हुआ है।
(ख) उत्तर भारत में गंगा का मैदान ।
(ग) असम में ब्रह्मपुत्र का मैदान ।
7. उतर का मैदान कृषि के उच्च उत्पादन के लिए उपजाऊ और जलोढ़ मृदा से सम्पन्न है।
प्रायद्वीपीय पठार:
हिमालय के किस भाग को पूर्वांचल के नाम से जाना जाता हैं? पूर्वांचल हिमालय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
ब्रहम्मुत्र नदी हिमालय के पूर्वी सीमा का निर्धारण करती है। दिबांग गार्ज के उपर हिमालय तीक्षण रूप से दक्षिण की ओर मुड़कर भारत के पूर्वी सीमा पर फैला है। जिसे पूर्वांचल केनाम से जाना जाता है। ये समानान्तर श्रेणियों में है। यह मज़बूत बलुआ पत्थर और अवसादी शैलों से बना है।
हिमालय की अपेक्षा पूर्वांचल पहाड़ियाँ उतनी ऊँची नही है। पहाड़ियाँ और श्रेणियाँ घने वनों से ढ़की हुई हैं। पूर्वांचल की कुछ प्रमुख पहाड़ियाँ है:
(क) पटकोई बूम और नागा की पहाड़ियाँ।
(ख) मिज़ो और मणिपुर की पहाड़ियाँ।
(ग) मेघालय-बंगलादेश सीमा के साथ गारों, खासी और जयंतिया की पहाड़ियाँ।
(घ) उतर के डल्फा की पहाड़ियाँ।
प्रायद्वीपीय पठार की महत्वपूर्ण विशेषताओं का वर्णन करें ?
भारत का प्रायद्वीपीय पठार उतरी मैदान के दक्षिण में तथा भारत के दक्षिणी सीरा तक फैला है। प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है। जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रुपान्तरित शैलों से बना है। यह त्रिभुजाकार है। यह सबसे प्राचीनतम और स्थाई भूभाग है।
इस पठार के दो मुख्य भाग है:
1. मध्य उच्च भाग और 2. दक्कन का पठार
1. नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है ।
2. प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित हैं जिसे दक्कन के पठार के नाम से जाना जाता है। यह एक त्रिभुजाकार भूभाग है जो उतर में चौड़ा तथा दक्षिणी भाग में पतला होता गया। इसका निर्माण लावा प्रवाह से हुआ है। ज्वालामुखी उद् भेदन के कारण इसका बड़ा भाग बैशाल्ट के शैलों से बना है। इसका विस्तार उतर में सतपुड़ा तक है और महादेव की पहाड़ियाँ, कैमुर की पहाड़ियाँ, मैकाल की पहाड़ियाँ इसके पूर्वोतर विस्तार को दर्शाता है। दक्कन का पठार पश्चिम में पश्चिमी घाट तथा पूर्वी घाट के बीच स्थित है। पश्चिमी घाट की औसतन ऊँचाई लगभग 900 से 1600 मीटर तथा पूर्वी घाट की ऊँचाई 600 मीटर है। इसलीए पठार पश्चिम की ओर ऊँचा तथा पूर्व की ओर ढालू है। दक्कन के पठार के काली मृदा के क्षेत्र को दक्कन ट्रैप के नाम से जाना जाता है।
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