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टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक अनूठा खेल है। इस बारे में चर्चा कीजिए कि यह किन-किन अर्थों में बाकी खेलों से भिन्न है। ऐतिहासिक रूप से एक ग्रामीण खेल के रूप में पैदा होने से टेस्ट क्रिकेट में किस तरह की विलक्षणता ही पैदा हुई हैं प्राप्त विलक्षणताएँ पैदा हुई हैं?
(i) टेस्ट क्रिकेट दूसरे खेलों से इस तरह से भिन्न है कि इसके पूरा होने में अपेक्षाकृत बहुत अधिक समय लगता है। यहाँ तक कि 5 दिनों तक खेलने के बाद भी इसका फैसला हो जाए यह जरुरी नहीं है। इससे इस खेल की रोचकता प्रभावित होती है।
(ii) टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत इंग्लैंड में एक ग्रामीण खेल के रूप में हुई। तब इसके मैदान के आकार अथवा आकृति से संबंधित कोइ स्थापित नियम नहीं था। बाद के वर्षों में MCC द्वारा कई नए नियम बनाए गए। क्रिकेट की गेंद का आकार तथा भार निश्चित कर दिया गया। साथ ही यह नियम बनाया गया कि खेल तब तक चलता रहेगा जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता अर्थात् दोनों टीमें दो-दो बार आउट नहीं हो जातीं। बाद के वर्षों में इस खेल की अवधि 6 दिन कर दी गई। आजकल इस खेल को पूरा करने के लिए 5 दिनों का समय दिया जाता है।
(iii) आरम्भ में खिलाड़ियों के पास कोई सुरक्षात्मक उपकरण नहीं होता था। किंतु तकनीकी परिवर्तनों ने एक हद तक इसे अब तक सुरक्षित खेल बना दिया है। अब इस खेल में 'पैड', 'ग्लोव्स' 'हेलमेट' आदि जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग होने लगा है।
(iv) आरंभ में यह खेल समय-समय पर खेला जाता था। फलत: लोगो को साल भर रोजगार नहीं मिलता था। किंतु अब यह खेल साल भर यहाँ तक कि रात में भी खेला जाता है। अब इसमें रोजगार के अपार अवसर उपलब्ध हैं।
एक ऐसा उदाहरण दीजिए जिसके आधार पर आप कह सकें कि उन्नीसवीं सदी में तकनीक के कारण क्रिकेट के साथ साज़ों-सामान में परिवर्तन आया। साथ ही ऐसे उपकरणों में से भी कोई एक उदाहरण दीजिए जिनमें कोई बदलाव नहीं आया।
उन्नीसवीं सदी के दौरान तकनीकी विकास द्वारा उपकरणों में लाए गए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव निम्नलिखित हैं-
(i) आरंभ में बैट एक ही लकड़ी के टुकड़े से बनाया जाता था। अब इसके दो हिस्से होने लगे- हैंडल बेंत की लकड़ी से बनाया जाता है जबकि शेष हिस्से के लिए विलो नामक पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
(ii) गंधकीकृत रबड़ की खोज के बाद पैड्स तथा ग्लोव्स जैसे सुरक्षा उपकरणों का निर्माण एवं विकास हुआ।
(iii) अब खिलाड़ियों द्वारा तेज गेंदों से अपने सिर की सुरक्षा के लिए धात्विक हेलमेट जैसे उपकरण का उपयोग किया जाता है।
(iv) क्रिकेट में संचार के कई आधुनिक साधनों का प्रयोग आम हो गया है। इसने इस खेल को सटीक तथा मनोरंजक बना दिया है। इन उपकरणों में टेलीविजन, कंप्यूटर तथा वॉकी-टॉकी महत्वपूर्ण हैं ।
एक चीज जिसमें कोई बदलाव नहीं आया, वह है बैट तथा स्टंप्स बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थ। ये पहले भी लकड़ी के बनाए जाते थे और आज भी एक खास प्रकार की लकड़ी से ही बनाए जाते हैं।
भारत और वेस्ट इंडीज़ में ही क्रिकेट क्यों इतना लोकप्रिय हुआ? क्या आप बता सकते हैं की यह खेल दक्षिणी अमेरिका में इतना लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ?
क्रिकेट एक औपनिवेशिक खेल है जिसकी शुरुआत इंग्लैंड में हुई थी। इस खेल को ब्रिटिश उपनिवेशों में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा एक तफरीह वाले खेल के रूप में लाया गया। स्वाभाविक रूप से प्रत्येक उपनिवेश में ऐसा वर्ग था जो औपनिवेशिक मालिकों के रहन- सेहन की नकल करने में विश्वास करता था। भारत भी इससे अछूता नहीं था। भारत तथा वेस्टइंडीज जैसे उपनिवेशों में क्रिकेट खेलना धीरे-धीरे उच्च सामाजिक हैसियत का प्रतीक बन गया। यही कारण है कि यहाँ यह खेल लोकप्रिय हुआ।
परन्तु दक्षिण अमेरिका के बारे में यह बात कहना उचित नहीं हैं। वहाँ औपनिवेशिक सत्ता फ्रांस, स्पेन तथा पुर्तगाल जैसी यूरोपीय देशों के हाथों में थी। इन देशों में क्रिकेट एक लोकप्रिय खेल नहीं था। स्वभाविक रुप से यहाँ की जनता के वे आदर्श थे जो इनके मालिकों के दैनिक जीवन का हिस्सा थे। अत: यहाँ क्रिकेट लोकप्रिय नहीं हुआ।
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए:
भारत में पहला क्रिकेट क्लब पारसियों ने खोला।
हिंदुस्तानी क्रिकेट- यानी हिंदुस्तानियों द्वारा क्रिकेट- की शुरुआत का श्रेय बम्बई के ज़रतुश्ितयाें यानी पारसियों के छोटे से समुदाय को जाता है। व्यापार के चलते सबसे पहले अंग्रेजो के संपर्क में आए और पश्चिमीकृत होनेवाले पहले भारतीय समुदाय के रूप में पारसियों ने 1848 में पहले क्रिकेट क्लब की स्थापना मुंबई में की ,जिसका नाम था-ओरिएंटल क्रिकेट क्लब। पारसी क्लबों के प्रयोजक व वित्तपोषक थे टाटा वाडिया जैसे पारसी व्यवसायी।
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए:
महात्मा गांधी पेंटांग्युलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।
पाँचकोणीय टूर्नामेंट पाँच टीमों द्वारा खेला जाता था। यूरोपीय, पारसी, हिंदू, मुसलमान व 'शेष' इसमें भारतीय ईसाई जैसे बचे-खुचे समुदायों को शामिल किया जाता था। महात्मा गांधी ने पाँचकोणीय टूर्नामेंट को समुदाय के आधार पर बाँटने वाला बताकर इसकी निंदा की। उनका कहना था कि ऐसे समय में जब राष्ट्रवादी हिंदुस्तानी आवाम को एकजुट करना चाह रहे थे तो इस टूर्नामेंट का क्या तुक था। पाँचकोणीय टूर्नामेंट की नींव में ब्रितानी सरकार की 'फूट डालो राज करो' की नीति थी।
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए:
आईसीसी का नाम बदल कर इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस के स्थान पर इंटरनेशनल (अंतर्राष्ट्रीय) क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया।
आराम से ही विश्व क्रिकेट में इंग्लैंड तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देश निर्णायक भूमिका निभा रहे थे। उनके पास ICC द्वारा बनाए जाने वाले नियमों तथा कार्यवाहियों को वीटो करने की शक्ति थी। किंतु अनौपनिवेशीकरण की प्रक्रिया के शुरुआत के साथ ही विश्व क्रिकेट में इनके प्रभाव में कमी दर्ज की गई। अन्य क्रिकेट खेलने वाले देशों यथा भारत, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज आदि में एक बड़ी संख्या में लोगों के बीच क्रिकेट लोकप्रिय था। समय के साथ इन देशों ने क्रिकेट के खेल में विभिन्न क्षेत्रों में अहम भूमिका निभानी शुरू की।
परिणामस्वरुप आईसीसी का 1965 में नाम बदलकर इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया जो कि वास्तव में विश्व क्रिकेट, न कि साम्राज्यवादी क्रिकेट, का प्रतिनिधित्व करता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के विशेष अधिकार 1989 में जाकर खत्म हुए और वे अब सामान्य सदस्य रह गए।
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए:
आईसीसी मुख्यालय लंदन की जगह दुबई में स्थानांतरित कर दिया गया।
(i) भारतीय उपमहाद्वीप में दर्शकों की संख्या ज्यादा है। इसलिए एशियाई क्रिकेट का बाज़ार किसी भी देश के बाजार से बड़ा है। यही कारण है की आई सी सी का मुख्यालय प्रतिकात्मक तौर पर ही सही परंतु लंदन से टैक्स-फ्री (एशिया) दुबई में आ गया।
(ii) नई तकनीक ईजाद की तरह-तरह से निंदा करने के पश्चात अंग्रेजी-ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी यह मान गए की क्रिकेट के कानून सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई या अंग्रेजी खिलाड़ियों के मुताबिक नहीं बनाए जा सकते। क्योंकि आई.सी.सी ने इन ईज़ादों को मान्यता दे दी, जिससे सभी देशों ने इससे अपना लिया।
(iii) क्योंकि हाल के वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप के खिलाड़ियों ने क्रिकेट के नए तकनीक प्रयोग शुरू किए हैं। पाकिस्तान के गेंदबाज़ों ने 'दूसरा' एवं 'रिवर्स स्विंग' जैसे बॉलिंग के हथियारों को ईजाद कर यह दर्शा दिया की क्रिकेट के नए तकनीक सिर्फ अंग्रेजी-ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की देन नहीं । दूसरा एवं रिवर्स स्विंग तो इन दोनों देशों में खेलना मुश्किल होता हैं।
तकनीक के क्षेत्र में आए बदलावों, खासतौर से टेलीविज़न तकनीक में आए परिवर्तनों से समकालीन क्रिकेट के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा है?
टीवी प्रसारण से क्रिकेट बदल गया। इसके ज़रिए क्रिकेट की पहुँच छोटे शहरों और गांवों के दर्शकों तक हो गई। क्रिकेट का सामाजिक आधार भी व्यापक हुआ। महानगरों से दूर रहनेवाले बच्चों जो कभी बड़े मैच नहीं देख पाते थे, अब अपने नायकों को देखकर सीख सकते हैं।
सैटेलाइट टीवी की तकनीक और बहु-राष्ट्रीय कंपनियों की दुनिया भर की पहुँच के चलते क्रिकेट का वैश्विक बाज़ार बन गया। सिडनी में चल रहे मैच को अब सीधे सूरत में देखा जा सकता था। इसी मामूली बात ने क्रिकेट की सत्ता का केंद्र ही बदल दिया: जिस प्रक्रिया की शुरुआत ब्रिटिश सम्राज्य के पतन से हुई थी, वह वैश्वीकरण में अपने तार्किक अंजाम तक पहुँची।
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