डायरी के पन्ने
ऐन ने अपनी डायरी ‘किट्टी’ (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी?
ऐन की डायरी पढ़ने से हमें पता चलता है कि वह संवेदनशील एवं अंतर्मुखी लड़की थी। वह एक जगह कहती हैं कि “मैं सचमुच उतनी घमंडी नहीं हूँ जितना लोग मुझे समझते हैं।” इसी प्रकार वह यह भी कहती है कि, “काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति अब तक नहीं मिला है इसीलिए तलाश जारी रहेगी।”
स्पष्ट है कि ऐन की बातों को समझने की क्षमता न तो उसके परिवार के किसी सदस्य में थी और न ही साथ रहने वाले दूसरे लोगों में। वह कहती भी है कि “किसी और की तुलना में वह अपनी कई कमजोरियों और खामियों को बेहतर तरीके से जानती है।” स्पष्ट है कि वह खुद को औरों से बेहतर समझती है। अपनी डायरी में अपनी गुड़िया को वह पत्र लिखती है गुड़िया को पत्र लिखते हुए अपरोक्ष रूप से वह खुद से ही बातें करती है। वह जानती है कि जिन बातों को वह लिख रही है, शायद उन्हें दूसरे व्यक्ति ठीक ढंग से न समझ पायें। इसीलिए उसे अपनी गुड़िया को सम्बोधित करते हुए पत्र लिखना पड़ा।
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