रजिया सज्जाद जहीर
उन सिख बीबी को देखकर साफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे कोई खुली हुई किताब। वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी।
जब साफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहोर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर साफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर।
Sponsor Area
जब उसका सामान कस्टम पर जाँच के लिए बाहर निकाला जाने लगा तो उसे एक झिरझिरी-सी आई और एकदम से उसने फैसला किया कि मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं जाएगा, नमक कस्टमवालों को दिखाएगी वह। उसने जल्दी से पुड़िया निकाली और हैंडबैग में रख ली, जिसमें उसका पैसों का पर्स और पासपोर्ट आदि थे। जब सामान कस्टम से होकर रेल की तरफ चला तो वह एक कस्टम अफसर की तरफ बड़ी। ज्यादातर मेजें खाली हो चुकी थीं। एक-दो पर इक्का-दुक्का सामान रखा था। वहीं एक साहब खड़े थे-लंबा कद, दुबला-पतला जिस्म, खिचड़ी बाल, आँखों पर ऐनक। वे कस्टम अफसर की वर्दी पहने तो थे मगर उन पर वह कुछ जँच नहीं रही थी। साफिया कुछ हिचकिचाकर बोली, “मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।”
उन्होंने नजर भरकर उसे गौर से देखा। बोले, “फरमाइए।”
उनके लहजे ने साफिया की हिम्मत बढ़ा दी, “आप..आप कहाँ के रहने वाले हैं?”
उन्होंने कुछ हैरान होकर उसे फिर गौर से देखा, “मेरा वतन देहली है, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं, अपने अजीजों से मिलने आई होंगी?”
“जी हाँ। मैं लखनऊ की हूँ। अपने भाइयों से मिलने आई थी। वे लोग इधर आ गए हैं। आपको भी तो शायद इधर आए?”
“जी, जब पाकिस्तान बना था तभी आए थे, मगर हमारा वतन तो देहली ही है।”
साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?
जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
क्या सब कानून हकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?
भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे हावी हो रही थी।
Sponsor Area
Sponsor Area