उमाशंकर जोशी
शब्द किस प्रकार कविता का आकार लेते हैं?
साहित्यिक रचना में शब्द अंकुर की तरह फूटते हैं। जिस प्रकार धरती में दबा बीज अंकुर बनकर फूटता है और धरती से बाहर निकल आता है, उसी प्रकार हृदय के विचार कल्पना का आश्रय लेकर कागज पर उतरते हैं और रचना का स्वरूप ग्रहण कर लेते हैं। अंकुरित हुआ पौधा पल्लव (नए पत्तों) तथा फूलों को पाकर झुक जाता है और विशेष रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार कोई भी अच्छी साहित्यिक रचना संपूर्ण आकार ग्रहण कर लेती है।
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‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?
‘उसे कोई तनिक रोक रक्खो’-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?
रचना के संदर्भ में अँधड़ और बीज क्या है?
शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
रोपाई क्षण की
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारी ऐंद्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।
जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। कविता में से रूपक का चुनाव करें।
‘बगुलों के पंख’ कविता को पढ़ने पर आपके मन में कैसे चित्र उभरते हैं? उनकी किसी भी अन्य कला माध्यम में अभिव्यक्ति करें।
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