‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?
कवि की आँखें काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुले चुराए लिए जा रहे हैं। ऐसा सुंदर दृश्य नयनाभिराम होता है और कवि सब कुछ भूलकर उसी मैप अटका रह जाता है।