शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
साहित्यिक रचना में शब्द अंकुर की तरह फूटते हैं। जिस प्रकार धरती में दबा बीज अंकुर बनकर फूटता है और धरती से बाहर निकल आता है, उसी प्रकार हृदय के विचार कल्पना का आश्रय लेकर कागज पर उतरते हैं और रचना का स्वरूप ग्रहण कर लेते हैं। अंकुरित हुआ पौधा पल्लव (नए पत्तों) तथा फूलों को पाकर झुक जाता है और विशेष रूप धारण कर लेता है। इसी प्रकार कोई भी अच्छी साहित्यिक रचना संपूर्ण आकार ग्रहण कर लेती है।