आलो - आँधारि
तातुश ने बेबी के रहने की समस्या का क्या समाधान निकाला? साया को इससे क्या फायदा हुआ?
तातुश ने अपने घर की छत पर एक कमरा बेबी के लिए खाली कर दिया। उस कमरे में अपना सारा सामान जमा वह खाना बनाने की तैयारी करने लगी। तातुश ने ऊपर आकर देखा तो हँसते हुए बोले, तुम आज खाना न भी बनातीं तो चल जाता। नीचे तो काफी खाना रखा ही है! बेबी ने कहा, तो क्या हुआ। रखा रहे, दादा लोग खाएँगे। तातुश बोले, रात को एक बार नीचे एक गरम-गरम रोटी खिला सकोगी? अभी तक दोनों समय रोटी बनाने वाला कोई नहीं था। तुम जो खाना बना जाती थी उसी को रात में भी खाना पड़ता था। अब तो तुम यहीं आ गई हो तो दोनों समय गरम-गरम खाना खिला सकोगी।
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पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है? क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार कीजिए।
‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है।’ किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
‘तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’ -जेठू का यह कथन रचना-संचार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता, कल्पना करें और लिखें।
बेबी जब सुनील के बताए पते पर काम ढुँढ्ने गई तब उसने वहाँ क्या देखा?
बेबी की दिनचर्या कैसे चलने लगी?
एक दिन हठात् तातुश ने बेबी के बारे में क्या पूछा?
तातुश ने बेबी से किस बात पर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की?
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