आत्मा का ताप

Question

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
उन्होंने मुझे ऑर्ट डिपार्टमेंट में कमरा दे दिया। मैं फर्श पर सोता। वे मुझे रात ग्यारह-बारह बजे तक गलियों के चित्र या और तरह-तरह के स्केच बनाते देखते। कभी-कभी वे कहते कि तुम बहुत देर तक काम करते रह गए, अब सो जाओ। कुछ महीने बाद उन्होंने मुझे एक बहुत शानदार ठिकाना देने की पेशकश की-उनके चचेरे भाई के छठी मंजिल के फ्लैट का एक कमरा। उसमें दो पलंग पड़े थे। उनकी यौवना यह थी कि अगर मैं उनके यहां काम करता रहा तो मुझे कला विभाग का प्रमुख बना दिया जाए। मैं बेकन सर्कल का सात रास्ते वाला घर और उसका गलीज वातावरण छोड्कर नए ठिकाने पर आ गया और पूरी तरह अपने काम में डूब गया। इसका परिणाम यह हुआ कि चार बरस में, 1948 में, बॉम्बे ऑर्ट्स सोसाइटी का स्वर्णपदक मुझे मिला। इस सम्मान को पाने वाला मैं सबसे कम आयु का कलाकार था। दो बरस बाद मुझे फ्रांस सरकार की छात्रवृत्ति मिल गई।
1. लेखक को क्या समस्या आई और उसका क्या हल निकला?
2. बाद में लेखक को कहाँ जगह मिली?
3. 1948 में क्या हुआ?

Answer

1.  पहले लेखक एक टैक्सी ड्राइवर के ठिकाने पर सोता था, पर वहाँ एक पुलिस केस हो जाने के कारण रहना कठिन हो गया। लेखक के मालिक ने उन्हें आर्ट डिपार्टमेंट में एक कमरा दे दिया। वह फर्श पर सोने लगा। इस प्रकार उसके सोने और रहने की समस्या का हल निकल आया।
2. बाद में मालिक ने लेखक के कठिन परिश्रम से प्रभावित होकर उसे एक शानदार ठिकाना देने की पेशकश की। वे उसे कला विभाग का प्रमुख बना देना चाहते थे।
तब लेखक जेकब सर्कल का सात रास्ते वाला घर और उसका गलीज वातावरण छोडकर नए ठिकाने पर आ गया और पूरी तरह से अपने काम में डूब गया।
3. 1948 में लेखक को बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी का स्वर्णपदक मिला। इस सम्मान को पाने वाला वह सबसे कम आयु का कलाकार था। इसके दो वर्ष बाद उसे फ्रांस सरकार की छात्रवृत्ति भी मिल गई।

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Some More Questions From आत्मा का ताप Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
श्रीनगर की इसी यात्रा में मेरी भेंट प्रख्यात फ्रेच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसौं से हुई। मेरे चित्र देखने के बाद उन्होंने जो टिप्पणी की वह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा “तुम प्रतिभाशाली हो, लेकिन प्रतिभाशाली युवा चित्रकारों को लेकर मैं संदेहशील हूं। तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। तुम्हें मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है-आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है। मैं कहूंगा कि तुम सेजाँ का काम ध्यान से देखो।” इन टिप्पणियों का मुझ पर गहरा प्रभाव रहा। बंबई लौटकर मैंने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रेंच में दाखिला से लिया। फ्रांसे पेटिंग में मेरी खासी रुचि थी, लेकिन मैं समझना चाहता था कि चित्र में रचना या बनावट वास्तव में क्या होगी।
1. श्रीनगर में लेखक की भेट किससे हुई? इसका उनके लिए क्या महत्व था?
2. फ्रेंच फोटोग्राफर ने क्या टिप्पणी की?
3. इस टिप्पणी का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मैं अपने कुटुंब के युवा लोगों से कहता रहता हूं कि तुम्हें सब कुछ मिल सकता है-बस, तुम्हें मेहनत करनी होगी। चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है। इसे अपना सर्वस्व देकर ही कुछ ठोस परिणाम मिल पाते हैं। केवल बहरा जाफरी को कार्य करने की ऐसी लगन मिली। वह पूरे समर्पण से दमोह शहर के आसपास के ग्रामीणों के साथ काम करती हैं। कल मैंने उन्हें फोन किया-यह जानने के लिए कि वह दमोह में क्या कर रही हैं। उन्हें बड़ी खुशी हुई कि मुझे सूर्यप्रकाश (उस ग्रामीण स्त्री का पति, जो अपने पति का नाम नहीं ले रही थी) का किस्सा याद है। मैंने धृष्टता से उन्हें बताया कि ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख।’ मेरे मन में शायद युवा मित्रों को यह संदेश देने की कामना है कि कुछ घटने के इंतजार में हाथ पर हाथ ध रे न बैठे रहो-खुद कुछ करो। जरा देखिए, अच्छे-खासे संपन्न परिवारों के बच्चे काम नहीं कर रहे, जबकि उनमें तमाम संभावनाएं हैं। और यहाँ हम बेचैनी से भरे, काम किए जाते हैं।

1. लेखक युवा लोगों से क्या कहना चाहता है?
2. लेखक को मनचाही लगन किसमें मिली?
3. लेखक के मन में युवा मित्रों को क्या सदेश देने की कामना है?


रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?

बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रजा ने क्या-क्या संघर्ष किए?

भले ही 1947 और 1948 में महत्त्वपूर्ण घटनाएं घटी हो, मेरे लिए वे कठिन बरस थे। रजा ने ऐसा क्यों कहा?

रजा के पसंदीदा पफ्रेंचकलाकार कौन थे?

तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है-आधार, नींव, दीवारें, बीम, क्य; और क्य जाकर वह टिकता है-यह बात

(क) किसने, किस संदर्भ में कही?

(ख) रजा पर इसक। क्य प्रभाव पडा?



रजा को जलील साहब जँसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते? तर्क दीजिए।

चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है-इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

हमें लगता था कि हम पहाड़ हिला सकते हैं-आप किन क्षणों में ऐसा सोचते हैं?