निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
मैं अपने कुटुंब के युवा लोगों से कहता रहता हूं कि तुम्हें सब कुछ मिल सकता है-बस, तुम्हें मेहनत करनी होगी। चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है। इसे अपना सर्वस्व देकर ही कुछ ठोस परिणाम मिल पाते हैं। केवल बहरा जाफरी को कार्य करने की ऐसी लगन मिली। वह पूरे समर्पण से दमोह शहर के आसपास के ग्रामीणों के साथ काम करती हैं। कल मैंने उन्हें फोन किया-यह जानने के लिए कि वह दमोह में क्या कर रही हैं। उन्हें बड़ी खुशी हुई कि मुझे सूर्यप्रकाश (उस ग्रामीण स्त्री का पति, जो अपने पति का नाम नहीं ले रही थी) का किस्सा याद है। मैंने धृष्टता से उन्हें बताया कि ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख।’ मेरे मन में शायद युवा मित्रों को यह संदेश देने की कामना है कि कुछ घटने के इंतजार में हाथ पर हाथ ध रे न बैठे रहो-खुद कुछ करो। जरा देखिए, अच्छे-खासे संपन्न परिवारों के बच्चे काम नहीं कर रहे, जबकि उनमें तमाम संभावनाएं हैं। और यहाँ हम बेचैनी से भरे, काम किए जाते हैं।
1. लेखक युवा लोगों से क्या कहना चाहता है?
2. लेखक को मनचाही लगन किसमें मिली?
3. लेखक के मन में युवा मित्रों को क्या सदेश देने की कामना है?
1. लेखक युवा लोगों से यह कहना चाहता है कि मेहनत करने से उन्हें सब कुछ मिल सकता है। चित्रकला को व्यवसाय न मानकर अंतरात्मा की पुकार मानो। इसके लिए अपना सर्वस्व देना होगा तभी ठोस परिणाम मिल सकते हैं।
2. लेखक को मनचाही लगन केवल जहरा जाफरी में मिली। उसमें कार्य करने की लगन थी। वह पूरे समर्पण भाव से दमोह शहर के आसपास के ग्रामीणों के साथ काम करती थी।
3. लेखक के मन में अपने युवा मित्रों को यह संदेश देने की कामना है कि कुछ घटने की प्रतीक्षा मत करो। हाथ पर हाथ रखे मत बैठे रहो। खुद कुछ करो। अच्छे संपन्न घरों के परिवारों के बच्चों को भी काम करना चाहिए, जो कि वे नहीं कर रहे हैं। उनमें काफी संभावनाएँ छिपी हैं।