चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है-इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।
चित्रकला वास्तव में व्यवसाय नहीं है। यह तो मन के आंतरिक भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है।
वर्तमान समय में यह कला भी व्यवसाय का रूप ले चुकी है।
कलाकार भी व्यावसायिकता के शिकार हो गए है। अब उनकी कला में दम दिखाई नहीं देता। यही कारण है कि कला में अश्लीलता का समावेश होता चला जा रहा है।
चित्रकला का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है, बशर्तें कलाकार अपने दायित्व को समझकर कलाकृतियाँ बनाएँ।