विदाई - संभाषण

Question

यहाँ की प्रजा ने आपकी जिद्द का फल यहीं देख लिया। उसने देख लिया कि आपकी जिस जिद्द ने इस देश की प्रजा को पीड़ित रखा, आपको भी उसने कम पीड़ा न दी, यहाँ तक कि आप स्वयं उसका शिकार हुए।

Answer

विद्यार्थी इन बातों पर स्वयं गौर करें।

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Some More Questions From विदाई - संभाषण Chapter

शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया-यहां किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?

कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?

बिचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे! - आशय स्पष्ट कीजिए।

आपके और यहाँ के निवासियों के बीच कोई तीसरी शक्ति भी है-यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?

पाठ का यह अंश ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?

नादिर से भी बढ्कर आपकी जिद्द हैं - कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए।

क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ?-इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए।

इस पाठ में आए अलिफ़ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।

इससे आपका जाना भी परंपरा की चाल से कुछ अलग नहीं है, तथापि आपके शासनकाल का नाटक घोर दुखांत है, और अधिक आश्चर्य की बात यह है कि दर्शक तो क्या, स्वयं सूत्रधार भी नहीं जानता था कि उसने जो खेल सुखांत समझकर खेलना आरंभ किया था, वह दुखांत हो जावेगा।