विदाई - संभाषण
इस कथन का आशय यह है कि यह विचारने की बात है कि लॉर्ड कर्जन की शान-शौकत सर्वोच्च स्तर पर थी। वे सबसे ऊँचे थे, शेष सभी उनसे नीचे थे। सेवा काल के अंत में उनका पतन हो गया। वे अपने ऊँचे पद से नीचे आ गिरे। उन्हें इस देश से चले जाने का हुक्म मिला। ब्रिटिश सरकार ने उनकी बात नहीं मानी। लॉर्ड कर्जन की बड़ी किककिरी हुई।
विचरिए तो क्या शान आपकी इस देश में थी और क्या हो गई लेखक ने यह पंक्ति कर्जन के लिए कही है।वह कहते है कि कर्जन का भारत में एक अलग ही शान, रुतबा और वैभव था। सम्पूर्ण प्रजा, प्रशासन, राजा, धनी व्यापारी, मंत्री अनेक अंतर्गत काम करते थे। जहाँ तक सम्राट के भाई का पद भी इनसे नीचे था।इनका प्रभुत्व अधिक देखने को मिलता है।इनकी पत्नी की सोने की कुर्सी थीं लेकिन इस्तीफ़ा देने से इनकी पूरी शान एक पल में ही नीचे गिर गई।
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पाठ का यह अंश ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?
इस पाठ में आए अलिफ़ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए।
पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेन्दु युगीन हिन्दी) हुआ है। उन्हें सामान्य हिन्दी में लिखिए-
(क) आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत को उनको जाना पड़ा।
(ख) आप किस को आए थे और क्या कर चले?
(ग) उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा।
(घ) पर आशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश का फिर से लाभ करे।
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