स्पीति में बारिश

Question

स्पीति में वसंत कैसा होता है? यहाँ बर्फ पड़ने पर कैसा मौसम रहता है?

Answer

स्पीति में वसंत लाहुल से भी कम दिनों का होता है। वसंत में भी यहाँ फूल नहीं खिलते, न हरियाली आती है, न वह गंध होती है। दिसंबर से घाटी में फिर बर्फ पड़ने लगती है। जो अप्रैल-मई तक रहती है। यहाँ ठंडक भी लाहुल से ज्यादा पड़ती है। नदी-नाले सब जम जाते हैं और हवाएँ तेज चलती हैं। मुँह, हाथ और जो खुले अंग हैं, उनमें जैसे शूल की तरह चुभती है।

Sponsor Area

Some More Questions From स्पीति में बारिश Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मध्य हिमालय की जो श्रेणियां स्पीति को घेरे हुए हैं उनमें से जो उत्तर में हैं उसे बारालाचा श्रेणियों का विस्तार समझें। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लगाकर 16,500 फीट का लगाया गया है इस पर्वत- श्रेणी में दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। इसका क्या अर्थ है? कहीं यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर तो नहीं है? ‘ओं मणि पसे हुं’ इनका बीज मंत्र है। इसका बड़ा माहात्म्य है। इसे संक्षेप में माने कहते हैं। कहीं इस श्रेणी का नाम इस माने के नाम पर तो नहीं है? अगर नहीं है तो करने जैसा है। यहां इन पहाड़ियों में माने का इतना बाप हुआ है कि यह नाम उन श्रेणियों को दे डालना ही सहज हैं।
1. बारालाचा श्रेणियों के बारे में क्या बताया गया है?
2. दक्षिण की श्रेणी क्या कहलाती है?
3. लेखक को माने नाम पड़ने का क्या कारण प्रतीत होता है?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
मैं ऊंचाई के माप के चक्कर में नहीं हूं। न इनसे होड़ लगाने के पक्ष में हूं। वह एक बार लोसर में जो कर लिया सो बस है। इन ऊंचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु है। हां, कभी-कभी उनका मान-मर्दन करना मर्द और औरत की शान है। मैं सोचता हूँ कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाडों से युवक-युवतियां आएं और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएँ-फिर इन चोटियों के अहंकार को चूर करें। उस आनंद का अनुभव करें जो साहस और कूवत से यौवन में ही प्राप्त होता है। अहंकार का ही मामला नहीं है। ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं। युवक-युवतियां किलोल करें तो यह भी हर्षित हों। अभी तो इन पर स्पीति का आर्तनाद जमा हुआ है। वह इस युवा अट्टहास की गरमी से कुछ तो पिघले। यह एक युवा निमंत्रण है।
1. लेखक क्या नहीं चाहता और क्यों?
2. लेखक क्या चाहता है? क्या?
3. माने की चोटियों की उदासी क्यों है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
यह पावस यहां नहीं पहुंचता है। कालिदास की वर्षा की शोभा विंध्याचल में है। हिमालय की इन मध्य की घाटियों में नहीं है। मैं नहीं चानजानता इसका लालित्य लाहुल-स्पीति के नर-नारी समझ भी पाएंगे या नहीं। वर्षा उनके संवेदन का अंग नहीं है। वह यह जानते नहीं हैं कि ‘बरसात में नदियां बहती हैं, बादल बरसते, मस्त हाथी चिंघाड़ते हैं, जंगल हरे- भरे हो जाते हैं, अपने प्यारों से बिछुड़ी हुई स्त्रियां रोती-कलपती हैं, मोर नाचते हैं और बंदर चुप मारकर गुफाओं में जा छिपते हैं।’

अगर कालिदास यहाँ आकर कहें कि ‘अपने बहुत से सुंदर गुणों से सुहानी लगने वाली, स्त्रियों का जी खिलाने वाली, पेड़ों की टहनियों और बेलों की सच्ची सखी तथा सभी जीवों का प्राण बनी हुई वर्षा ऋतु आपके मन की सब साधे पूरी करे’, तो शायद स्पीति के नर-नारी यही पूछेंगे कि यह देवता कौन है? कहाँ रहता है? यहाँ क्यों नहीं आता?
1. कहाँ पावस नहीं पहुँचता? इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
2. यहाँ के लोग क्या नहीं जानते?
3. कालिदास आकर क्या कहेगे?

इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों?

स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?

लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों हैं?

ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं - इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?

वर्षा यहां एक घटना है, एक सुखद संयोग है-लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?

स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।