मियाँ नसीरुद्दीन
मियां कुछ देर सोच में खोए रहे । सोचा पकवान पर रोशनी डालने को है कि नसीरुद्दीन साहब बड़े रुखाई से बोले- 'यह हम न बतावेंगे । बस, आप इत्त समझ लीजिए कि एक कहावत है कि न की खानदानी नानबाई कुएं में भी रोटी पका सकता है । कहावत जब भी गढ़ी गई हो, हमारे बुजुर्गो के करतब पर ही पूरी उतरती है । '
मजा लेने के लिए टोका- 'कहावत यह सच्ची भी है कि.. .... ।'
मियाँ ने तरेरा- 'और क्या झूठी है? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम! झूठ से रोटी पकेगी? क्या पकती देखी है कभी! रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे! '
Sponsor Area
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
पाठ में मियां नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखक ने कैसे खींचा है?
मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय : लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों?
‣ पाठ में आए रोटियों के अलग- अलग नामों की सूची बनाएं और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।
तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।
(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।
Sponsor Area
Sponsor Area