नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान
अतिशयोक्ति- तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान।
उत्प्रेक्षा-
• छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल उठे जलजात।
• पिंघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।
• छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।
अनुप्रास- ‘परस पाकर’, ‘धूलि-धूसर’।
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