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नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान

Question
CBSEENHN10001746

मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इसकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिये

Solution
मुसकान और क्रोध दोनों मानव-मन में उत्पन्न होने वाले भाव हैं। मुसकान एक सुखद मनोभाव है पर क्रोध एक मनोविकार है। मुसकान में व्यक्ति अपने हृदय के सुखद भावों को प्रकट करता है तो क्रोध में वह अतृप्ति, क्लेश और पीड़ा के भावों को प्रकट करता है। मुसकान सदा सुखदायी होती है तो क्रोध दुःखदायी। क्रोध उन सभी को दुःख देता है जो-जो उसकी समीपता को प्राप्त करता है। मुसकान से किसी के भी हृदय को जीता जा सकता है पर क्रोध से अपनों को भी पलभर में दुश्मन बनाया जा सकता है।

Some More Questions From नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान Chapter

बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

कवि के अनुसार फसल क्या है?

कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। बे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?

फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है?

भाव स्पष्ट कीजिए-
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
मिट्‌टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्‌टी का गुण-धर्म कहा है-
वर्तमान जीवन शैली मिट्‌टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

मिट्‌टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

मिट्‌टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?