नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान
कवि ने लाखों-करोड़ों लोगों के द्वारा किए जाने वाले परिश्रम और उनकी एक निष्ठ लग्न के लिए ‘हाथो के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहा है। फसल उत्पन्न करना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। न जाने कितने दिन -रात मेहनत करके इसे उगाने का गौरव प्राप्त करते हैं।
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