अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

Answer

संघर्ष का नाम ही जीवन है। मनुष्य को निरन्तर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए मनुष्य कर्मठतापूर्वक बिना थकान महसूस किए यदि लगातार आगे बढ़ता रहता है तो निश्चित रूप से वह अपना लक्ष्य पा ही लेता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो स्वयं अपने परिश्रम से अपना राह बनाता है फूलों की छाँह में खेलने वालों के लिए जिन्दगी के असली मजे नहीं है। चाँदनी रात की शीतलता को वहीं अनुभव कर पाता है जो मीलों की यात्रा करके थकान अनुभव कर रहा हो। इसलिए कामना का चल छोटा नहीं करना चाहिए,’ रस की निर्झरी मनुष्य के बहाए भी बह सकती है, मात्र कर्मठता की आवश्यकता है।

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Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

किसकी माँग न करने की चर्चा की गई है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

कवि ने एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति क्यों की है?




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

‘माँग मत’ से क्या तात्पर्य है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर भाव पक्ष लिखिए:
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!