साखियाँ एवं सबद
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अंतिम दो दोहों के माध्यम से से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है?
किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।
मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है?
कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' में क्यों कहा है?
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
भाव स्पष्ठ कीजिये-
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
भाव स्पष्ठ कीजिये-
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
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