धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी
महात्मा गांधी धर्म को सर्वोच्च स्थान देते थे। धर्म के बिना वे एक कदम भी चलने को तैयार नहीं थे। उनका धर्म शुद्ध पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण था जिसमें कल्याण की भावनाएँ निहित थीं। वह सत्य, और अहिंसा को ही परम धर्म मानते थे। उनके अनुसार धर्म उदारता की रक्षा करता है। इसलिए महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म में केवल ऊँचे और उदार विचारों का ही स्थान होना चाहिए।
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