धूल - रामविलास शर्मा
लेखक ने धूल और मिट्टी में विशेष अन्तर नहीं माना है। उसके अनुसार धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना कि शब्द और रस में, देह और जान में अथवा चाँद और चाँदनी में होता है। जिस प्रकार ये अलग-अलग होते हुए भी एक हैं। उसी प्रकार धूल और मिट्टी अलग नाम होकर भी एक ही है। मिट्टी की आभा का नाम धूल है और मिट्टी के रंग-रूप की पहचान उसकी धूल से होती है। जीवन के सभी अनिवार्य सार तत्व मिट्टी से ही मिलते हैं। जिन फूलों को हम अपनी प्रिय वस्तुओं का उपमान बनाते हैं। वे सब मिट्टी की ही उपज है। रूप, रस, गंध, स्पर्श इन्हें मिट्टी की देन माना जा सकता है। मिट्टी में जब चमक उत्पन्न होती है तो वह धूल की पवित्र रूप ले लेती है। यही धूल हमारी संस्कृति की पहचान है।
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