रिश्तों में हमारी भावना शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
जब हम रिश्तों को निबाहने की खातिर भावना के वशीभूत हो जाते हैं तब हमारे मन में जमे विश्वास भी कई बार हिल जाते हैं और हम सत्य को खोजने के प्रयास में लक्ष्य से भटक जाते हैं 1. इस प्रकार की मन:स्थिति में हमारी बुद्धि की ताकत कमजोर हो जाती है और हम भावना के वशीभूत हो जाते हैं। भावना के हावी होते ही बुद्धि किसी तर्क को नहीं मानती।
इस पाठ मे लेखक का जीजी के साथ भावनात्मक संबंध है। उनके सामने वह अपने विश्वास को कायम नहीं रख पाता। उनके तर्कों के सामने उसकी बुद्धि की शक्ति कमजोर पड़ जाती है। वह वे सारे काम करने को तैयार हो जाता है जिन पर वह विश्वास नहीं करता। वह त्योहारों पर उन अनुष्ठानों को करता है जिन्हें वह जड़ से उखाड़ने में विश्वास रखता है।