निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता दो तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएंगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाँधीजी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अक्सर करने लगी थीं।
1. जीजी अपनी बात के पक्ष में क्या उदाहरण देती है?
2. जीजी पानी फेंकने को क्या बताती है? क्यों?
3. ऋषि-मुनि क्या कह गए हैं?
4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम क्यों लेती थीं?
1. जीजी पानी देने की बात के पक्ष में खेत में गेहूँ उगाने का उदाहरण देती है। वह कहती है कि यदि खेत में 30-40 मन गेहूँ उगाना हो तो किसान अपने पास से 5-6 सेर गेहूँ खेत में बीज के रूप में डालता है। तभी उसे अच्छी फसल मिलती है।
2. जीजी पानी फेंकने को भी बुवाई ही कहती है! जितना पानी हम इन लड़कों पर फेंकते हैं, उससे कई गुना पानी इंद्र देवता हमें वर्षा के रूप में लौटा देता है।
3. ऋषि-मुनि यह कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें उसका चार गुना- आठ गुना करके लौटाएंगे। कुछ पाने के लिए पहले कुछ देना पड़ता है।
4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम इसलिए लेती हैं क्योंकि उनका एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था। उसका संबंध गाँधीजी के आंदोलन से था अत: जीजी का जुड़ाव भी गाँधी जी के साथ हो गया था।