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धर्मवीर भारती

Question
CBSEHIHN12026896

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

Solution

लेखक की दृष्टि के विपरीत जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को बिल्कुल सही ठहराया। उसका तर्क था:

- किसी से कुछ पाने के लिए पहले उसे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। हम यह पानी का अअर्घ्यचढ़ाते हैं। जो चीज हम पाना चाहते हैं, उसे पहले देंगे नहीं तो पाएँगे कैसे?

- पहले त्याग करो फिर फल पाने की आशा करो। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है जिसकी तुम्हें भी बहुत अवश्यकता है। पानी की भी यही स्थिति है।

- जीजी ने खेत में गेहूँ की अच्छी फसल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर भी अपनी बात-इंदर सेना पर पानी फेंके जाने-को सही ठहराया।

Some More Questions From धर्मवीर भारती Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता दो तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएंगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाँधीजी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अक्सर करने लगी थीं।

1. जीजी अपनी बात के पक्ष में क्या उदाहरण देती है?
2. जीजी पानी फेंकने को क्या बताती है? क्यों?
3. ऋषि-मुनि क्या कह गए हैं?
4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम क्यों लेती थीं?




निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
इन बातों को आज पचास से ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों-की-त्यों मन पर दरज हैं। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, अंग्रेज चले गए पर क्या हम आज भी सच्चे अर्थों में आजाद हो पाए। क्या उनकी रहन-सहन, उनकी भाषा, उनकी संस्कृति से आजाद होकर अपने देश के संस्कारों को समझ पाए। हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे या उसके भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? यही कारण है कि रोज हम पढ़ते हैं कि यह हजार करोड़ की योजना बनी, वह चार हजार करोड़ की योजना बनी, पर यह अरबों-खरबों की राशि कहाँ गुम हो जाती है? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति?

1. लेखक की चिंता किस बात को लेकर है?
2. आज किस भावना का नामो-निशान नहीं है?
3. भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा गया है?
4. आज देश की हालत क्या है?



लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

रिश्तों में हमारी भावना शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।