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धर्मवीर भारती

Question
CBSEHIHN12026886

धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय दीजिए।

Solution

जीवन-परिचय: ‘धर्मयुग’ के संपादक के रूप में यश अर्जित करने वाले धर्मवीर भारती का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में सन् 1926 में हुआ था। शैशव में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण इन्हें अर्थाभाव का संकट झेलना पड़ा। इनका जीवन संघर्षमय रहा। मामाश्री अभयकृष्ण जौहरी का आश्रय और संरक्षण मिलने से ये अपनी शिक्षा पूर्ण कर पाए। ये प्रारभ से ही स्वावलंबी प्रवृत्ति के थे अत: पद्मकांत महावीर के पत्र ‘अभुदय’ तथा इलाचंद्र जोशी के पत्र ‘संगम’ में कार्य किया। बाद में इन्हें प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक का पद मिल गया 11960 ई. में विश्वविद्यालय छोड्कर मुंबई चले गए और वहाँ ‘धर्मयुग’ का संपादन करने लगे।

‘दूसरा सप्तक’ में विशिष्ट कवि के रूप में स्थान पाने के कारण इनकी गिनती प्रयोगवादी कवियों में की जाने लगी किन्तु मूलत: वे गीतकार ही हैं। रोमानी कविता के रूप मे वे प्रेम और सौंदर्य के गायक कवि हैं। कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, पत्रकार तथा आलोचक के रूप में इन्होंने हिन्दी-साहित्य को समृद्ध किया है। अपनी साहित्य सेवाओं के लिए इन्हें अनेक बार सम्मानित किया गया है। कॉमनवेल्थ रिलेशंस तथा जर्मन सरकार के आमंत्रण पर इन्होंने इंग्लैंड, यूरोप और जर्मनी की; भारतीय दूतावास के अतिथि के रूप में इंडोनेशिया और थाईलैंड की तथा मुक्तिवाहिनी के सदस्य के रूप में बांग्लादेश की यात्राएँ कीं। इनको भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ के उपाधि से अलंकृत किया। सन् 1997 ई. में इनका देहांत हो गया।

इन रचनाओं के अतिरिक्त उन्होंने ऑस्कर वाइल्ड की कहानियों का हिन्दी में अनुवाद किया। ‘देशांतर’ तथा ‘युद्ध-यात्रा’ इनकी अनूदित कृतियाँ हैं।

साहित्यिक परिचय (काव्यगत विशेषताएँ): धर्मवीर भारती की काव्य की भावभूमि अत्यन्त व्यापक है। इनका प्रारंभिक काव्य रोमानी भाव बोध का काव्य है। प्रेम, सौंदर्य और संयोग-वियोग के श्रृंगारिक चित्र इन रचनाओ का वैशिष्टय है। भारती जी ने नारी के मांसल सौंदर्य के मादक चित्र भी उकेरे हैं-

इन फीरोजी होठों पर बरबाद मेरी जिदंगी,

गुलाबी पाँखुरी पर एक हल्की सुरमई आभा।

कि ज्यों करवट बदल लेती, कभी बरसात की दोपहर।

छायावाद की अनेक विशेषताएं उनके काव्य में मिलती हैं। छायावादी कवियों जैसी वैयक्तिकता भी उनके काव्य में मिलती है पर इतना अवश्य है कि इनकी वैयक्तिकता बौद्धिकता को साथ लेकर चली है। ‘नया रस’ कविता में वैयक्तिकता और बौद्धिकता सहचर रूप में मिलते हैं।

गुनाहों का देवता उपन्यास से लोकप्रिय धर्मवीर भारती का आजादी के बाद के साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान है। उनकी कविताएँ कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोर्ताज हिन्दी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं। भारती जी के लेखन की एक खासियत यह भी है कि हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के बीच उनकी अलग-अलग रचनाएँ लोकप्रिय हैं। वे मूल रूप से व्यक्ति स्वातंत्र्य मानवीय संकट एवं रोमानी चेतना के रचनाकार हैं। तमाम सामाजिकता एवं उत्तरदायित्वों के बावजूद उनकी रचनाओं में व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सर्वोपरि है। रोमानियत उनकी रचनाओं में संगीत में लय की तरह मौजूद है। उनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। दूसरे लोकप्रिय उपन्यास सूरज का सातवाँ घोड़ा पर हिन्दी फिल्म भी बन चुकी है। इस उपन्यास में प्रेम को केन्द्र में रखकर निम्न मध्यवर्ग की हताशा, आर्थिक संघर्ष, नैतिक विचलन और अनाचार को चित्रित किया गया है। स्वतत्रता के बाद गिरते हुए जीवन मूल्य, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उपजा हुआ डर और अमानवीयता की अभिव्यक्ति अंधा युग में हुई है। अंधा युग गीति साहित्य के श्रेष्ठ गीति नाट्यों में है। ‘मानव मूल्य और साहित्य’ पुस्तक समाज-सापेक्षिता को साहित्य के अनिवार्य मूल्य के रूप में विवेचित करती है।

इन विधाओं के अलावा भारती जी ने निबंध और रिपोर्ताज भी लिखे। उनके गद्य लेखन में सहजता और आत्मीयता है। बड़ी-से-बड़ी बात वे बातचीत की शैली में कहते हैं।

 

Some More Questions From धर्मवीर भारती Chapter

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर जमीन में क्यारियाँ बनाकर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता दो तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएंगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाँधीजी महाराज कहते हैं।” जीजी का एक लड़का राष्ट्रीय आदोलन में पुलिस की लाठी खा चुका था, तब से जीजी गाँधी महाराज की बात अक्सर करने लगी थीं।

1. जीजी अपनी बात के पक्ष में क्या उदाहरण देती है?
2. जीजी पानी फेंकने को क्या बताती है? क्यों?
3. ऋषि-मुनि क्या कह गए हैं?
4. जीजी गाँधीजी महाराज का नाम क्यों लेती थीं?




निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
इन बातों को आज पचास से ज्यादा बरस होने को आए पर ज्यों-की-त्यों मन पर दरज हैं। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भों में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, अंग्रेज चले गए पर क्या हम आज भी सच्चे अर्थों में आजाद हो पाए। क्या उनकी रहन-सहन, उनकी भाषा, उनकी संस्कृति से आजाद होकर अपने देश के संस्कारों को समझ पाए। हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगे हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे या उसके भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? यही कारण है कि रोज हम पढ़ते हैं कि यह हजार करोड़ की योजना बनी, वह चार हजार करोड़ की योजना बनी, पर यह अरबों-खरबों की राशि कहाँ गुम हो जाती है? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति?

1. लेखक की चिंता किस बात को लेकर है?
2. आज किस भावना का नामो-निशान नहीं है?
3. भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा गया है?
4. आज देश की हालत क्या है?



लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

रिश्तों में हमारी भावना शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।