नीचे 1947 के अगस्त के कुछ व्यान दिए गए हैं जो अपनी प्रकृति में अत्यंत भिन्न हैं:
'आज आपने अपने सर पर, काँटों का ताज पहना है। सत्ता का आसन एक बुरी चीज़ है। इस आसन पर आपको-बड़ा संचेत रहना होगा....... .आपको और ज़्यादा विनम्र और धैर्यवान बनना होगा.......अब लगातार आपकी परीक्षा ली जाएगी। ''
- मोहनदास कर्मचंद गाँधी
''भारत आज़ादी की जिंदगी के लिए जागेगा......हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाएँगे...... .आज दुर्भाग्य के एक दौर का खात्मा होगा और हिंदुस्तान अपने को फिर से पा लेगा.......आज हम जो जश्न मना रहे हैं वह एक कदम भर है, संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं ....... '' '
-पं० जवाहरलाल नेहरू
इन दो बयानों से राष्ट्र-निर्माण का जो एजेंडा ध्वनित होता है उसे लिखिए। आपको कौन-सा एजेंडा जँच रहा है और क्यों?
अगस्त, 1947 को भारत ने बड़े संघर्षों के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद इन दौ महान नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अलग-अलग समय पर वक्तव्य दिए। इन दोनों नेताओं के व्यानों में राष्ट्र-निर्माण का एजेंडा ध्वनित होता है।
- गाँधी जी के ब्यान में यह बात स्पष्ट झलकती है कि सत्ता व्यक्ति को भ्रष्ट करती है और संपूर्ण सत्ता व्यक्ति को पूर्णतया भ्रष्ट कर देती है। गाँधी जी का कहना है कि भारतीयों को सत्ता प्राप्त हुई है, लेकिन सत्ता के साथ-साथ अनेक जिम्मेदारियों भी मिली है। उन्होंने सत्ता को काँटों के ताज के समान बताया है जिसको पहनना इतना आसान नहीं है। सत्ता का नशा सिर-बढ़कर बोलता है और मनुष्य सही और गलत को पहचानने में असमर्थ दिखाई पड़ता है। भारतीयों को सत्ता मिली है उन्हें शासन करना है और बहुत सोच-समझकर शासन करना होगा। शासन करना सरल कार्य नहीं है। लोगों को (शासकों को) सजग रहना होगा और अपनी जिम्मेदारियों को धैर्य और विनम्रता के साथ निभाना होगा। गाँधी: जी नेसत्य, अहिंसा, प्रेम और भाईचारे के आधार पर लोकतंत्रीय शासन स्थापित करने का आहूवान किया। अत: स्वतंत्र भारत का शासन चलाना एक कड़ी परीक्षा होगी।
- नेहरू जी के कथन में भी राष्ट्र-निर्माण का एजेंडा ध्वनित होता है पर यह आशा और विश्वास से भरा हुआ है। भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। अब उसे एक नया जीवन मिला है। गुलामी की जंजीर कट चुकी है। प्रत्येक भारतीय स्वतंत्र भारत में साँस ले रहा है। गुलामी का युग समाप्त हो चुका है। भारत एक बार फिर अपनी संपूर्णता को प्राप्त करेगा । हमारे सामने अनेक लक्ष्य हैं। विकास की अनेक संभावनाएं हैं जिन्हें प्राप्त करना है। अब भारत को कुछ नया करके दिखाना है अपनै सपनों को साकार करना है। भारतं के सामने एक सुनहरा भविष्य है। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो समानता, सद् भावना और धर्म-निरपेक्षता पर आधारित हो। अत: नेहरू जी का यह ब्यान देश के युवा वर्ग को देश की जिम्मेदारियाँ उठाने व उन्हें निष्ठापूर्वक निभाने की प्रेरणा प्रदान करता है।