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राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

Question
CBSEHHIPOH12041308

कहा जाता है कि राष्ट्र एक व्यापक अर्थ में 'कल्पित समुदाय' होता है और सर्वमान्य विश्वास, इतिहास, राजनीतिक आकांक्षा और कल्पनाओं से एकसूत्र में बँधा होता है। उन विशेषताओं की पहचान करें जिनकेआधार पर भारत एक राष्ट्र है।

Solution

राष्ट्र के संबंध में विचारकों द्वारा कई मत प्रदान किए गए हैं उनमें से एक अर्थ यह भी है कि राष्ट्र 'कल्पित समुदाय' होता है। इस विचार से कुछ लोग सहमत हैं और कुछ इस विचार पर अपनी असहमति दर्ज कराते हैं। वास्तविकता में राष्ट्र को एक कल्पित समुदाय कहना सर्वथा अनुचित है। राष्ट्र-निर्माण एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके आधार पर लोग अपने छोटे-छोटे कबीलों, गाँवों एवं नगरों के प्रति वफादारी के स्थान पर विशाल केंद्रीय राजनीतिक प्रणाली को वफादारी प्रदान करते हैं अर्थात् राष्ट्र स्थाई होता है जिसके पास अपनी प्रभुसत्ता, विदेश नीति होती है। जिसमें उसकी शक्ति समाहित होती है परंतु इसके होते हुए भी कोई देश तब तक अपने अस्तित्व को बनाएं नहीं रख सकता जब तक उस देश की जनता अपने राष्ट्र के प्रति सर्वमान्य विश्वास न रखती हो। विश्वास के साथ देश का इतिहास भी राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधता है। इसके साथ-साथ राष्ट्र-निर्माण के लिए एक नस्ल , जाति, समान भाषा, साहित्य, रीति-रिवाज, धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तत्त्वों की भी आवश्यकता होती है। भारत को भी वर्णित विशेषताओंकेआधार पर एक राष्ट्र कहा जा सकता है।

राष्ट्र के संबंध-भाव को राष्ट्रीयता के रूप में देखा और समझा जाता है। कुछ तत्त्वोंकेआधार पर उत्पन्न हुई किसी एक जन-समूह में एकता की भावना को राष्ट्रीयता कहा जाता है। जिस जन-समूह में यह भावना विद्यमान होती है, और जो इसके आधार पर एक संगठित ढांचेमें ढल. जाता हैतो वह जन-समूह राष्ट्र का रूप ग्रहण कर लेता है।

  1. भौगोलिक एकता: भौगोलिक एकता राष्ट्रीयता के निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। राष्ट्र के विकास में सामान्यत: भूमि का बहुत महत्त्व है। जब एक जन-संमूह के लोग किसी एक निश्चित भूमि पर साथ-साथ रहते हैं तो उनमें एकता की भावना पैदा हो जाती है। हम भारतीय, अंग्रेज़ अथवा चीनी हैं, यह भावना एक प्रदेश में रहने के कारण उत्पन्न होती है।
  2. समान नस्ल व जाति: जातीय एकता भी राष्ट्र अथवा राष्ट्रीयता के निर्माण में बहुत सहायक होती है। एक नस्ल व जाति के लोग एक-दूसरे से अपने पन की भावना पाते हैं। उनमें अधिक एकता होती है। प्रत्येक राष्ट्र की ऐतिहासिक उत्पत्ति की पौराणिक कथाएँ होती हैं।
  3. ऐतिहासिक एकता-सामान्य अतीत तथा इतिहास भी राष्ट्र के विकास में बहुत सहायक होता है। इतिहास का प्रत्येक जन-समूह के जीवन में बड़ा भावनात्मक, महत्त्व है। इतिहास अतीत तथा भविष्य की एक मजबूत कड़ी है। किसी राष्ट्र की एकता को बनाए रखने में इसका बहुत योगदान है।
  4. सामान्य संस्कृति-सामान्य संस्कृति राष्ट्र के विकास में बहुत सहायक है। संस्कृति मनुष्य के जीवन के अनेक पहलुओं से संबंध रखती है। सामान्य भाषा के कारण लोगों में एकता उत्पन्न होती है। सामान्य भाषा के बिना राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  5. धर्म की एकता- राष्ट्रों के इतिहास में धर्म का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। धर्म लोगों में एकता का महत्त्वपूर्ण बंधन रहा है। धर्म और राजनीति सदियों तक एक-दूसरे के इतने निकट रहे हैं कि मध्यकालीन युग में राजनीति धर्म पर निर्भर मानी जाती थी।
  6. आर्थिक निर्भरता-आर्थिक निर्भरता भी राष्ट्र के निर्माण में सहायक.सिद्ध हुई है। स्टालिन का कहना है कि आर्थिक समानता राष्ट्र का सबसेमहत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
  7. सार्वजनिक इच्छा: सार्वजनिक इच्छा से भी राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। यदि लोगों में इकट्ठा रहने की इच्छा ही नहीं हो तो राष्ट्र का निर्माण नहीं होगा।
  8. राजनीतिक एकता: राष्ट्र के निर्माण में राजनीतिक तत्व बहुत सहायक हैं। राजनीतिक एकता लोगों को एकता के सूत्र में बांधती है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलनों ने सारे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांध दिया। लोगों की इस एकता के आगे ब्रिटिश सरकार जैसी अत्याचारी सरकार को भी झुकना पड़ा।

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Some More Questions From राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ Chapter

कहा जाता है कि राष्ट्र एक व्यापक अर्थ में 'कल्पित समुदाय' होता है और सर्वमान्य विश्वास, इतिहास, राजनीतिक आकांक्षा और कल्पनाओं से एकसूत्र में बँधा होता है। उन विशेषताओं की पहचान करें जिनकेआधार पर भारत एक राष्ट्र है।

नीचे लिखे अवतरण को पढ़िए और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

राष्ट्र- निर्माण के इतिहास के लिहाज से सिर्फ सोवियत संघ में हुए प्रयोगों की तुलना भारत से की जा सकती है। सोवियत संघ में भी विभिन्न और परस्पर अलग-अलग जातीय समूह, धर्म, भाषा समुदाय और सामाजिक वर्गों के बीच एकता का भाव कायम करना पड़ा। जिस पैमाने पर यह काम हुआ, चाहे भौगोलिक पैमाने के लिहाज से देखें या जनसंख्यागत वैविध्य के लिहाज से, वह अपने आप में बहुत व्यापक कहा जाएगा। दोनों ही जगह राज्य को जिस कच्ची सामग्री में राष्ट्र निर्माण की शुरुआत करनी थी वह समान रूप से दुष्कर थी। लोग धर्म के आधार पर बटे हुए और क़र्ज़ तथा बीमारी से दबे हुए थे।

(क) यहाँ लेखक ने भारत और सोवियत संघ के बीच समानताओं का उल्लेख किया है, उनकी एक सूची बनाइए। इनमें से प्रत्येक के लिए भारत से एक उदाहरण दीजिए।

(ख) लेखक ने यहाँ भारत और सोवियत संघ में चली राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रियाओं के बीच की समानता का उल्लेख नहीं किया हैं। क्या आप दो असमानताएँ बता सकते हैं।

(ग) अगर पीछे मुड़कर देखें तो आप क्या पाते हैं? राष्ट्र-निर्माण के इन दो प्रयोगों में कितने बेहतर काम किया और क्यों?