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चुनाव और प्रतिनिधित्व

Question
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एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट ( सर्वााइधक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ? 

(क) लोगों को इस बात की साफ साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक- ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।

Solution

(क) इस कथन के अनुरूप फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली में मतदाता तथा उम्मीदवार की बीच में सीधा सम्पर्क होता हैं जिस कारण मतदाता उम्मीदवारों को भली-भांति जान सकते हैं।

(ख) इस कथन के अनुसार समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली का उद्देश्य प्रत्येक दल को उचित प्रतिनिधित्व दिलाना हैं जिससे अल्पसंख्यक वर्ग की लोगों की हितों की रक्षा होती हैं।

(ग) इस कथन के अनुसार समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।

(घ) इस कथन के अनुसार फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली उचित होगी। क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत नागरिक अपनी पसंद का उम्मीदवार चुन सकते हैं, भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद करते हों या नहीं।

Some More Questions From चुनाव और प्रतिनिधित्व Chapter

इनमें कौन सा कार्य चुनाव आयोग नहीं करता ?

निम्नलिखित में कौन सी बात राज्य सभा और लोक सभा के सदस्यों के चुनाव की प्रणाली में समान है ?

फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली में वही प्रत्याशी विजेता घोषित किया जाता है जो -

पृथक निर्वाचन-मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच क्या अंतर है ? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया ?

निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है ? इसकी पहचान करें और किसी एक शब्द अथवा पद को बदलकर, जोड़कर अथवा नये क्रम में सजाकर इसे सही करें।

(क) एक फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली ('जो सबसे आगे वही जीते प्रणाली') का पालन भारत केहर चुनाव में होता है।
(ख) चुनाव आयोग पंचायत और नगरपालिका के चुनावों का पर्यवेक्षण नहीं करता।
(ग) भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता।
(घ) चुनाव आयोग में एक से ज़्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है। 

भारत की चुनाव-प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमज़ोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन अभी तक हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुँचती। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझाये ?

एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा। इस मसले पर कई विचार सामने आये। एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यों ?

भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ 'फर्स्ट पास्ट द पोस्ट' प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।

एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट ( सर्वााइधक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ? 

(क) लोगों को इस बात की साफ साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक- ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।