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चुनाव और प्रतिनिधित्व

Question
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एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा। इस मसले पर कई विचार सामने आये। एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यों ?

Solution

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 (i) के अनुसार, चुनाव आयोग के लिए एक प्रावधान है, जो संघ संसद, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव आयोजित करने के लिए जिम्मेदार बनाता हैं। चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी है।
हम दूसरे पक्ष के विचारों से सहमत हैं जिसके मत में भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, क्योंकि चुनाव आयुक्त उस पद पर स्वयं रह चुके हैं जो चुनाव की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में यह उचित होगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीनीति से दूर रहे व किसी प्रकार का चुनाव आदि न लड़े।
अत: जिस प्रकार न्यायालयों को न्यायधीशों पर अवकाश प्राप्ति की बाद नीजि वकालत पर पाबन्दी हैं उसी प्रकार से मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों पर भी पाबन्दी रहनी चाहिए।

Some More Questions From चुनाव और प्रतिनिधित्व Chapter

एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट ( सर्वााइधक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ? 

(क) लोगों को इस बात की साफ साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक- ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।