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चुनाव और प्रतिनिधित्व

Question
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भारत की चुनाव-प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमज़ोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन अभी तक हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुँचती। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझाये ?

Solution

चुनाव की कोई प्रणाली कभी आदर्श नहीं हो सकती। उसमें अनेक कमियाँ और सीमाएँ होती हैं। लोकतान्त्रिक समाज को अपने चुनावों को और अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के तरीकों को बराबर खोजते रहना चाहिए।

भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के लोगों के लिए संसद व राज्यों की विधान सभाओं में सीटें आरक्षित की गई हैं। लेकिन संविधान में अन्य उपेक्षित या कमजोर वर्गों जैसे- महिलाओं के लिए इस प्रकार के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं हैं। यह कथन सही कि महिलाओं कि जनसंख्या का 10 प्रतिशत भी प्रतिनिधित्व संसद व विधान-पालिकाओं में नहीं हो पाया है। 

इस स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. विधानपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होनी चाहिए।
  2. महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सक्षम करके उनके शैक्षणिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए।
  3. महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  4. पित्रसत्तात्मक समाज अनेक तरीक़ों से स्त्रियों को दबाता कुचलता है। इन सब कारणों ने भी स्त्रियों के आर्थिक और राजनीतिक अवसरों पर अपना प्रभाव डाला है। उनके साथ परिवार में भी समानता का व्यवहार होना चाहिए।
  5. महिलाओं को अपनी जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत हैं और स्वयं आगे बढ़कर इस सन्दर्भ में आवाज़ उठाने की भी ज़रूरत हैं।

इस उद्देश्य के लिए, हमें संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। हालांकि संसद में कई बार इस तरह के संशोधन की लिए प्रस्ताव दिया गया है लेकिन अभी तक पारित नहीं किया गया है।

Some More Questions From चुनाव और प्रतिनिधित्व Chapter

भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ 'फर्स्ट पास्ट द पोस्ट' प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है' क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।

एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट ( सर्वााइधक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ? 

(क) लोगों को इस बात की साफ साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक- ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।