पृथक निर्वाचन-मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच क्या अंतर है ? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया ?
पृथक निर्वाचन-मंडल: पृथक निर्वाचन-मंडल के अंतर्गत एक चुनाव क्षेत्र से अलग-अलग जाति के उम्मीदवार खड़े होते हैं तथा प्रत्येक मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देता है।
आरक्षित चुनाव क्षेत्र: इस व्यवस्था के अंतर्गत, किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालते हैं , लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होता हैं जिसके लिए वह वह सीट आरक्षित है।
संविधान सभा के अनेक सदस्यों को पृथक निर्वाचन-मंडल प्रणाली पर शंका थी। उनका विचार था कि यह व्यवस्था हमारे उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाएगी। उनके मत में यह व्यवस्था भारत के लिए अभिशाप रही है, इसने देश की अपूरणीय क्षति की है। यह प्रणाली साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देती है और इससे समाज की एकता नष्ट होती हैं। पृथक निर्वाचन-मंडल प्रणाली से मतदाताओं का दृष्टिकोण होता है और मतदाता देश हित के स्थान पर अपने सम्प्रदाय के हित को महत्व देते हैं। इन सभी बातों के कारण पृथक निर्वाचन-मंडल को स्वीकार नहीं किया गया।



