गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्त्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है। उनके लिए जरूरी यह है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
उत्तर के कारण:
- मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक सिद्धांतों की अपनी-अपनी महत्वता हैं। मौलिक अधिकार खास तौर से व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करते हैं, पर नीति-निर्देशक तत्व पूरे समाज के हित की बात करते हैं। फिर भी हम हम कार्यकर्ता के विचारों से सहमत नहीं है क्योंकि यदि नीति निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना भी दिया जाए तो भी मजदूरों को मौलिक अधिकारों की आवश्यकता तो रहेगी।
- मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति और विकास के लिए आवश्यक है। मौलिक अधिकारों के माध्यम से ही नागरिकों को समानता व स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त होता है।
- यद्यपि नीति निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, फिर भी राजनीति के निर्देशक सिद्धांतों को बाध्यकारी बनाना संभव नहीं है। यदि इन सिद्धांतों को बाध्यकारी बना दिया जाए तो उसके लिए व्यापक संसाधनों की व्यवस्था करनी पड़ेगी जो कि अति दुर्लभ कार्य है।



