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भारतीय संविधान में अधिकार

Question
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गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्त्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है। उनके लिए जरूरी यह है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर का कारण बताएँ।

Solution

उत्तर के कारण:

  1. मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक सिद्धांतों की अपनी-अपनी महत्वता हैं। मौलिक अधिकार खास तौर से व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करते हैं, पर नीति-निर्देशक तत्व पूरे समाज के हित की बात करते हैं। फिर भी हम हम कार्यकर्ता के विचारों से सहमत नहीं है क्योंकि यदि नीति निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना भी दिया जाए तो भी मजदूरों को मौलिक अधिकारों की आवश्यकता तो रहेगी। 
  2. मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति और विकास के लिए आवश्यक है। मौलिक अधिकारों के माध्यम से ही नागरिकों को समानता व स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त होता है। 
  3. यद्यपि नीति निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, फिर भी राजनीति के निर्देशक सिद्धांतों को बाध्यकारी बनाना संभव नहीं है। यदि इन सिद्धांतों को बाध्यकारी बना दिया जाए तो उसके लिए व्यापक संसाधनों की व्यवस्था करनी पड़ेगी जो कि अति दुर्लभ कार्य है।

Some More Questions From भारतीय संविधान में अधिकार Chapter

इनमें कौन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों ?

न्यूनतम देय मजदूरी नहीं देना।

इनमें कौन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों ?

किसी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना।

इनमें कौन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों ?

9 बजे रात के बाद लाऊडस्पीकर बजाने पर रोक लगाना।

 

इनमें कौन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों ?

भाषण तैयार करना

गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्त्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की जरूरत नहीं है। उनके लिए जरूरी यह है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने उत्तर का कारण बताएँ।

अनेक रिपोर्टो से पता चलता है कि जो जातियाँ पहले झाडू देने के काम में लगी थीं उन्हें अब भी मजबूरन यही काम करना पड़ रहा है। जो लोग अधिकार-पद पर बैठे हैं वे इन्हें कोई और काम नहीं देते। इनके बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करने पर हतोत्साहित किया जाता है। इस उदाहरण में किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।

एक मानवाधिकार-समूह ने अपनी याचिका में अदालत का ध्यान देश में मौजूद भूखमरी की स्थिति की तरफ खींचा। भारतीय खाद्य-निगम के गोदामों में 5 करोड़ टन से ज़्यादा अनाज भरा हुआ था। शोध से पता चलता है कि अधिकांश राशन-कार्डधारी यह नहीं जानते कि उचित-मूल्य की दुकानों से कितनी मात्रा में वे अनाज खरीद सकते हैं। मानवाधिकार समूह ने अपनी याचिका में अदालत से निवेदन किया कि वह सरकार को सार्वजनिक-वितरण-प्रणाली में सुधार करने का आदेश दे।

(क) इस मामले में कौन-कौन से अधिकार शामिल हैं ? ये अधिकार आपस में किस तरह जुड़े हैं ?
(ख) क्या ये अधिकार जीवन के अधिकार का एक अंग हैं ?

आपके अनुसार कौन सा मौलिक अधिकार सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? इसके प्रावधानों को संक्षेप में लिखें और तर्क देकर बताएँ कि यह क्यों महत्त्वपूर्ण है ?

इस अध्याय में उद्धृत सोमनाथ लाहिड़ी द्वारा संविधान सभा में दिए गए वक्तव्य को पढ़ें। क्या आप उनके कथन से सहमत हैं? यदि हाँ तो इसकी पुष्टि में कुछ उदाहरण दें। यदि नहीं तो उनके कथन के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत करें।