नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार इस प्रकार के थे। इसमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
वक्ता 1 : भारत एक लोकतान्त्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत को ज़्यादा दखल देना चाहिए।
वक्ता 2 : यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जायेंगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता।
वक्ता 3 : लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।
(1) हम वक्ता 1 की बात से पूर्णतः सहमत है क्योंकि हम एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें अन्य देशो में भी लोकतंत्र स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही नेपाल हमारा पड़ोसी देश है नेपाल के साथ हमारे संबंध भी अच्छे ही रहे है। उन्हें हमें बिगाड़ना नहीं चाहिए।
(2) हम वक्ता 2 के विचार से असहमत है क्योंकि जैसा अमेरिका ने इराक में आंतरिक हस्तक्षेप किया है हम वैसा हस्तक्षेप नेपाल में नहीं कर रहे। हम केवल उन्हें नैतिक समर्थन करने की बात कर रहे है।
(3) हम वक्ता 3 के कथन से असहमत है क्योंकि हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतान्त्रिक देश होने के नाते हमें सबसे पहले लोकतंत्र के बारे में ही सोचना चाहिए न की व्यापारिक हितों के बारे में। अंतर्राष्ट्रीय संबंध दूसरे देशो की संकट के समय मदद करने से ही बेहतर होते है।



