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उपन्यास,समाज और इतिहास

Question
CBSEHHISSH10018571

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उपन्यास परीक्षा-गुरु में दर्शायी गई नए मध्यवर्ग की तसवीर     

Solution

उपन्यास परीक्षा-गुरु दिल्ली के श्रीनिवास दास द्वारा लिखी गई। इसका प्रकाशन 1882 में हुआ था। इस उपन्यास में खुशहाल परिवारों के युवाओं को बुरी संगत के नैतिक खतरों से आगाह किया गया।
परीक्षा -गुरु से नव-निर्मित मध्यवर्ग की भीतरी व बाहरी दुनिया का पता चलता है। उपन्यास के चरित्रों को औपनिवेशिक शासन से क़दम मिलाने में कैसी मुसीबतें आती हैं और अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को लेकर वे क्या सोचते हैं, यह इस उपन्यास का कथ्य है। औपनिवेशिक आधुनिकता की दुनिया उनको एक साथ भयानक और आकर्षक मालूम पड़ती है। उपन्यास पाठक को जीने के 'सही तरीके' बताता है और प्रत्येक 'विवेकवान' इंसान से यह आशा करता है कि वे समाज-चतुर और व्यावहारिक बने पर साथ ही अपनी संस्कृति और परम्परा में जमे रहकर सम्मान और गरिमा का जीवन जिएँ।

Some More Questions From उपन्यास,समाज और इतिहास Chapter

इनकी व्याख्या करें:

रॉबिंसन क्रुसो के वे कौन से कृत्य हैं, जिनके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेसकार दिखाई देने लगता है।         

इनकी व्याख्या करें:

1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।

इनकी व्याख्या करें:

औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।  

तकनीक और समाज में आए उन बदलावों के बारे में बतलाइए जिनके चलते अठारहवीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।     

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उड़िया उपन्यास 

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जेन ऑस्टिन द्वारा औरतों का चित्रण 



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उपन्यास परीक्षा-गुरु में दर्शायी गई नए मध्यवर्ग की तसवीर     

उन्नीसवीं सदी के ब्रिटेन में आए ऐसे कुछ सामाजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में टॉमस हार्डी और चार्ल्स डिकेन्स ने लिखा है।   

उन्नीसवीं सदी के यूरोप और भारत, दोनों जगह उपन्यास पढ़ने वाली औरतों के बारे में जो चिंता पैदा हुई उसे संक्षेप में लिखें। इन चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस तरह देखा जाता था?

औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस तरह उपनिवेशकारों और राष्ट्रवादियों, दोनों के लिए लाभदायक था?