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उपन्यास,समाज और इतिहास

Question
CBSEHHISSH10018567

इनकी व्याख्या करें:

औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।  

Solution

उन्नीसवीं सदी के अग्रणी उपन्यासकारों ने किसी न किसी उद्देश्य को लेकर उपन्यास रचे। उपनिवेशवादी शासकों को उस समय की भारतीय संस्कृति कमतर नज़र आती थी। वही भारतीय उपन्यासकारों ने देश में आधुनिक साहित्य का विकास करने के उद्देश्य से लिखा - ऐसा साहित्य जो लोगों में राष्ट्रीयता की भावना और उपनिवेशी शासकों से बराबरी का अहसास जगा सके।     

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निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें:

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उन्नीसवीं सदी के ब्रिटेन में आए ऐसे कुछ सामाजिक बदलावों की चर्चा करें जिनके बारे में टॉमस हार्डी और चार्ल्स डिकेन्स ने लिखा है।   

उन्नीसवीं सदी के यूरोप और भारत, दोनों जगह उपन्यास पढ़ने वाली औरतों के बारे में जो चिंता पैदा हुई उसे संक्षेप में लिखें। इन चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस तरह देखा जाता था?

औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस तरह उपनिवेशकारों और राष्ट्रवादियों, दोनों के लिए लाभदायक था?

इस बारे में बताएँ कि हमारे देश में उपन्यासों में जाति के मुद्दे को किस तरह उठाया गया। किन्हीं दो उपन्यासों का उदहारण दें और बताएँ कि उन्होंने पाठको को मौजूदा सामाजिक मुद्दों के बारे में सोचने को प्रेरित करने के लिए क्या प्रयास किए। 

बताइए कि भारतीय उपन्यासों में एक अखिल भारतीय जुड़ाव का अहसास पैदा करने के लिए किस तरह की कोशिशें की गई।