वियतनाम में उपनिवेशवाद- विरोधी भावनाओं के विकास में धार्मिक संगठनों की भूमिका क्या थी?
1868 का स्कॉलर्स रिवोल्ट फ़्रांसीसी कब्ज़े और ईसाई धर्म के प्रसार के खिलाफ़ शुरुआती आंदोलनों में से था। इस आंदोलन की बागडोर शाही दरबार के अफसरों के हाथो में थी। ये अफ़सर कैथोलिक धर्म और फ़्रांसीसी सत्ता के प्रसार से नाराज़ थे। उन्होंने न्गू अन और हा तिएन प्रांतों में बग़ावतों का नेतृत्व किया और एक हज़ार से ज़्यादा ईसाईयों का क़त्ल कर डाला । कैथलिक मिशनरी सत्रहवीं सदी की शुरुआत से ही स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ने में लगे हुए थे और अठारहवीं सदी के अंत तक आते-आते उन्होंने लगभग 3,00,000 लोगों को ईसाई बन लिया था। फ्रांसीसियों ने 1868 के आंदोलन को तो कुचल डाला लेकिन इस बग़ावत ने फ्रांसीसियों के खिलाफ़ अन्य देशभक्तों में उत्साह का संचार ज़रूर कर दिया।
होआ होआ ऐसा ही एक आंदोलन था। यह आंदोलन 1939 में शुरू हुआ था। हरे-भरे मेकोंग डेल्टा इलाके में इसे भारी लोकप्रियता मिली। यह आंदोलन उन्नीसवीं सदी के उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों में उपजे विचारों से प्रेरित था। होआ होआ आंदोलन का संस्थापक का नाम था हुइन्ह फू सो। वह जादू-टोना और गरीबों की मदद किया करता था। व्यर्थ खर्चो के खिलाफ़ उनके उपदेशों का लोगों में काफ़ी असर था। वह बालिका वधुओं की खरीद-फ़रोख़्त, शराब व अफ़ीम के प्रखर विरोधी थे। फ़्रांसीसियों ने हुइन्ह फू सो के विचारों पर आधारित आंदोलन को कुचलने का कई तरह से प्रयास किया। उन्होंने फू सो को पागल घोषित कर दिया। फ़्रांसीसी उन्हें पागल बाेन्जे़ कह कर बुलाते थे। यह आंदोलन फ्रेंच नियंत्रण और ईसाई धर्म के प्रचार के खिलाफ थे। वे औपनिवेशिक विरोधी भी थे।
इस प्रकार इन आंदोलनों ने वियतनाम में औपनिवेशिक विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।