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राष्ट्रीवादी संघर्षों में महिलओं की भूमिका
राष्ट्रीवादी संघर्षों में महिलओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। महिलओं ने राष्ट्रीवादी संघर्षों में कई रूपों में अपना योगदान दिया। 18वीं और 19वीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्र का मानवीकरण किया और राष्ट्र को नारी वेश में प्रस्तुत किया गया। इससे राष्ट्रीवादी संघर्षो को बल मिला। इसी प्रकार नारी रूपकों का अविष्कार कलाकारों ने 19वीं सदी में किया। फ्रांस में उस एक लोकप्रिय इसाई नाम मारीआन दिया गया जिसने जन- राष्ट्रीय के विचार को रेखांकित किया। उसके चिन्ह की स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी मारीआन की प्रतिमाओ को चौकों पर लगाया गया ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोगों उससे तादात्म स्थापित कर सकें। इसी प्रकार जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई जो बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकट पहनती थी क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है लेकिन महिलाओं में असंतोष था कि राष्ट्रवादी संघर्ष में सक्रिय योगदान के बाद भी उन्हें इसका श्रेय हासिल नहीं हुआ।