इस अध्याय में दिए गए सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
1). टॉमसन का मॉडल एक तरबूज के उदाहरण से भी प्रस्तुत किया जा सकता है। जैसे जो तरबूज में तरबूज के लाल भाग को अगर धनात्मक आवेश लेकर चले तो जो उसमे काले बीज होते है वो उसमे इलेक्ट्रॉन कि तरह होते हैं जो परमाणु में चरों तरफ पाएँ जाते हैं।
जे.जे. टॉमसन के मॉडल के अनुसार:
i) परमाणु में चरों और धनात्मक आवेश होते है और इलेक्ट्रॉन उसमे धँसे होते हैं।
ii) धनात्मक और ऋणात्मक आवेश परिणाम में समान होते हैं इसलिए वे विद्युत् रूप में उदासीन होते हैं।
2.) रदरफ़ोर्ड ने एक मॉडल बनाया जिसमे तेजी से गति कर रहे अल्फ़ा-कणों को सोने की पन्नी पर टकराया गया इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकले कि:
i) परमाणु के भीतर का अधिकतर भाग खली है क्योंकि अधिकतर अल्फ़ा-कण बिना विक्षेपित हुए सोने कि पन्नी से बाहर निकल जाते हैं।
ii) बहुत कम कण अपने मार्ग से विक्षेपित होते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि परमाणु में धनावेशित भाग बहुत कम है।
iii) बहुत कम अल्फ़ा-कण
पर विक्षेपित हुए थे,जिससे यह संकेत मिलता है कि सोने के परमाणु का पूर्ण धनावेशित भाग और द्रव्यमान, परमाणु के भीतर बहुत कम आयतन में सिमित है। प्राप्त आँकड़ों से यह निष्कर्ष निकला कि नाभिक की त्रिज्या परमाणु की त्रिज्या से 105 गुना छोटी है।
3.) नील्स बोर- (i) इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन की विविक्त कक्षा कहते हैं।
(ii) एक निश्चित कक्षा में घूमते रहने पर उसकी ऊर्जा का अवशोषण या उत्सृजन नहीं होता है।
(iii) इलेक्ट्रॉन एक से अधिक कक्षाओं में घूम सकते हैं। इन कक्षाओं को इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा स्तर कहते हैं।
(iv) इलेक्ट्रॉन एक कक्ष से दूसरे कक्ष में जाने पर ऊर्जा दिए बिना जा सकते है।



