पहाड़िया लोगों ने बाहरी लोगों के आगमन पर कैसी प्रतिक्रिया दर्शाई?
पहाड़िया लोग बाहर से आने वाले लोगों को संदेह तथा अविश्वास की दृष्टि से देखते थे। बाहरी लोगों का आगमन पहाड़ियां लोगों के लिए जीवन का संकट बन गया था। उनके पहाड़ व जंगलों पर कब्जा करके खेत बनाए जा रहे थे। पहाड़ी लोगों में इसकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था। पहाड़ियों के आक्रमणों में तेजी आती गई। अनाज व पशुओं की लूट के साथ इन्होने अंग्रेजों की कोठियों, ज़मींदारों की कचहरियों तथा महाजनों के घर-बारों पर अपने मुखियाओं के नेतृत्व में संगठित हमले किए और लूटपाट की।
वही दूसरी तरफ़, ब्रिटिश अधिकारियों ने दमन की नीति को अपनाया। उन्हें बेरहमी से मारा-पीटा गया परंतु पहाड़ियां लोग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर बाहरी लोगों (ज़मींदारों व जोतदारों) पर हमला करते रहे। ऐसे क्षेत्रों में अंग्रेज़ों के सैन्य बलों के लिए भी इनसे निपटना आसान नहीं था। ऐसे में ब्रिटिश अधिकारियों ने शांति संधि के प्रयास शुरू किए जिसमें उन्हें सालाना भत्ते की पेशकश की गई। बदले में उनसे यह आश्वासन चाहा कि वे शांति व्यवस्था बनाए रखेंगे। उल्लेखनीय हैं कि अधिकतर मुखियाओं ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। जिन कुछ मुखियाओं ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था, उन्हें पहाड़िया लोगों ने पसंद नहीं किया।