ज़मींदार लोग अपनी जमींदारियों पर किस प्रकार नियंत्रण बनाए रखते थे?
जमींदार द्वारा अपने ज़मींदारियों पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाते गए:
- जमींदारों के एजेंट नीलामी की प्रक्रिया में जोड़-तोड़ की नीति को अपनाते थे। अपनी भू-संपदा की बिक्री के समय उनके अपने ही आदमी ऊँची बोली लगाकर ज़मींदारी (भू-संपदा) को खरीद लेते थे। बाद में वे खरीद की राशि चुकाने से इनकार कर देते थे। इस प्रकार ज़मींदारी जमींदार के नियंत्रण में ही रहती थी।
- ज़मींदार ज़मींदारी पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए फ़र्ज़ी बिक्री का सहारा लेते थे। फ़र्ज़ी बिक्री के कारण ज़मींदारी को बार-बार बेचना पड़ता था। बार-बार बोली लगाने से सरकार तथा बोली लगाने वाले दोनों ही थक जाते थे। जब कोई भी बोली लगता था, तो सरकार को वह ज़मींदारी पुराने जमींदार को ही कम कीमत पर बेचनी पड़ती थी।
- जमींदार अपनी जमींदारियों के कुछ भाग परिवार की महिलाओं के नाम कर देते थे, क्योंकि कम्पनी की नीति में महिलाओं की सम्पत्ति न छीनने का प्रावधान था। ऐसा करने से भी जमींदार अपनी ज़मींदारी पर नियंत्रण बनाए रखते थे।
- ज़मदार अपनी ज़मींदारी पर किसी अन्य व्यक्ति का कब्ज़ा सरलतापूर्वक नहीं होने देते थे। जब कोई नया खरीददार ज़मींदारी खरीद लेता था, तो पुराने जमींदार के 'लठियाल' मारपीट कर उसे भगा देते थे। कभी-कभी स्वयं रैयत नए खरीददार को ज़मीन में नहीं घुसने देते थे।