चित्र 1 और चित्र 2 में साँची से लिए गए दो परिदृश्य दिए गए हैं। आपको इनमें क्या नज़र आता है? वास्तुकला,पेड़-पौधे और जानवरों को ध्यान से देखकर तथा लोगों के काम-धंधों को पहचान कर यह बताइए कि इनमें से कौन-से ग्रामीण और कौन-से शहरी परिदृश्य हैं?
साँची के स्तूप में मूर्तिकला के उल्लेखनीय नमूने देखने को मिलते हैं। इनमें जातक कथाओं को उकेरा गया है, साथ ही बौद्ध परंपरा के प्रतीकों को भी उभारा गया है, यहाँ तक कि अन्य स्थानीय परंपराओं को शामिल किया गया है।
चित्र I और II में भी बौद्ध परंपरा से जुड़ी धारणाओं को उकेरा गया है।
चित्र I को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इसमें अनेक पेड़-पौधे और जानवरों को दिखाया गया है। दृश्य ग्रामीण परिवेश का लगता है। लेकिन बौद्ध धर्म की दया, प्रेम और अहिंसा की धारणाएँ इसमें स्पष्ट झलकती हैं। चित्र के ऊपरी भाग में जानवर निश्चिंत भाव से सुरक्षित दिखाई दे रहे हैं, जबकि निचले भाग में कई जानवरों के कटे हुए सिर और धनुष-बाण लिए हुए मनुष्यों के चित्र हैं, जो बलि प्रथा और शिकारी-जीवन, हिंसा को प्रकट करते हैं।
चित्र-II बिल्कुल अलग परिदृश्य को व्यक्त कर रहा है। संभवत: यह कोई बौद्ध संघ का भवन है जिसमें बौद्ध भिक्षु ध्यान और प्रवचन जैसे कार्यों में व्यस्त हैं। चित्र में उकेरा गया सभाकक्ष और उसके स्तंभों में भी बौद्ध धर्म के प्रतीक दिखाई दे रहे हैं। स्तंभों के ऊपर हाथी और दूसरे जानवर बने हैं। ध्यान रहे इनसे जुड़े साहित्य का यदि हम अध्ययन करें तो संभवत: इन चित्रों का और भी गहन अर्थ निकालने में सक्षम हो पाएँगे।