भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध इतिहासकार मोरिस विंटरविट्ज़ ने महाभारत के बारे में लिखा था कि: चूँकि महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है........ बहुत सारी और अनेक प्रकार की चीजें इसमें निहित हैं...... वह भारतीयों की आत्मा की अगाध गहराई को एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।' चर्चा कीजिए।
महाभारत एक विस्तृत महाकाव्य है। इसकी मूल कथा कौरवों और पांडवों के बीच सत्ता और साधनों को लेकर लड़े गए युद्ध से संबंधित है। चूँकि यह एक गतिशील ग्रंथ रहा है इसलिए इसमें इस मूल कथा के साथ-साथ अन्य कथाएँ मिथक और घटनाक्रम जुड़ते गए। इसमें बहुत-से उपदेश भी हैं। विद्वानों का विचार है कि लगभग 1000 वर्षों (500 ई०पू० से 500 ई०) में यह ग्रंथ संपूर्ण हुआ है। शुरू में इसमें मात्र 8800 श्लोक थे और जयस यानी विजय संबंधी ग्रंथ कहलाता था। कालांतर में यह लगभग 24000 श्लोकों के साथ भारत नाम से जाना गया। अन्तत: यह महाभारत कहलाया। अब इसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं।
चूँकि महाभारत दीर्घ अवधि में रचा और लिखा गया है, इसलिए इसमें भारतीय समाज के अनेक पक्ष शामिल होते गए। आर्यों के उत्तर भारत में विस्तार के बाद मध्य और दक्षिणी भारत में उनका फैलाव हुआ तो उनके इस ग्रंथ में भी अनेक सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक व धार्मिक पक्ष जुड़ते गए। यह ग्रंथ मात्र आर्यों का नहीं रह गया। आर्य लोगों का भारत में बसने वाले अन्य जन-जातियों और कबीलों से समायोजन हुआ, तो इन लोगों के सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्ष भी इसमें जुड़ते गए । इस प्रकार मौरिस विन्टरविट्ज़ का यह निष्कर्ष उचित है कि 'महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है। '
उनका यह वाक्य और भी सारगर्भित है कि यह ग्रंथ 'भारतीयों की आत्मा की अगाध गहराई को एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। ' इसका अर्थ है कि इस ग्रंथ में मात्र सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पक्षों का ही वर्णन नहीं है बल्कि नैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और गहन दार्शनिक विवेचन भी है। उदाहरण के लिए इस ग्रंथ का महत्त्वपूर्ण भाग श्रीमद् भगवतगीता को लें जो संपूर्ण भारतीय दर्शन का निचोड़ है। इसमें मोक्ष प्राप्ति के तीनों मार्गों-ज्ञान, कर्म और भक्ति का अद् भुत समन्वय मिलता है।
भारतीय समाज की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता वर्ण व जाति व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था के नैतिक और सामाजिक आदर्शों को महाभारत ग्रंथ ने विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया है। यहाँ तक कि उपदेशों के माध्यम से भी उन्हें व्यक्त किया है। उदाहरण के लिए एकलव्यगाथा, जिसमें वर्ण-धर्म की पालना का उपदेश दिया गया है। अत: संक्षेप में कहा जा सकता है कि महाभारत में भारतीयों के सामाजिक जीवन का सार मिलता है। इसलिए यह संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है।