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बंधुत्व जाति तथा वर्ग

Question
CBSEHHIHSH12028268

द्रोण, हिडिम्बा और मातंग की कथाओं में धर्म के मानदंडों की तुलना कीजिए तथा उनके अंतर को भी स्पष्ट कीजिए।

Solution

महाभारत के आदिपर्व में द्रोण व हिडिम्बा की तथा जातक ग्रंथ में बोधिसत्त्व मातंग की कथा मिलती है। तीनों कथाओं में धर्म के मानदंडों की तुलना बड़ी रुचिकर है। भारतीय संदर्भ में धर्म की व्याख्या वर्ण-कर्त्तव्य पालन के संदर्भ में की गई है। ब्राह्मण ग्रंथों में वर्ण-धर्म के पालन पर अत्यधिक बल दिया गया है। उसे 'उचित' सामाजिक कर्त्तव्य बताया गया है।

द्रोण की कथा में एकलव्य निषाद जाति से था जिसे वर्ण-धर्म के अनुसार धनुर्विद्या सीखने का अधिकार नहीं था। इसलिए गुरुद्रोण ने उसे शिक्षा देने से इंकार कर दिया था । फिर भी एकलव्य ने यह विद्या अपनी लगन से प्राप्त की। गुरु द्रोण ने गुरु दक्षिणा में दायें हाथ का अंगूठा लिया। स्पष्ट है कि इस कथा के माध्यम से निषादों को धर्म का संदेश दिया जा रहा था । दूसरी कथा हिडिम्बा-भीम की है जिसमें भीम ने वर्ण-धर्म का पालन करते हुए वनवासी लड़की (हिडिम्बा) के विवाह प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया था । लेकिन इसमें भी प्रचलित परंपरा से हटने का आभास मिलता है जब युधिष्ठिर ने अपने छोटे भाई भीम (उच्च कुल) को निम्न कुल से संबंधित हिडिम्बा के साथ विवाह की अनुमति दे दी थी।

तीसरी कथा मातंग की है जिसका जन्म चाण्डाल के घर में हुआ था । जिसे देखकर मांगलिक नामक व्यापारी की बेटी (दिथ्य) चिल्लाने लगी कि उसने 'अशुभ' देख लिया है। मातंग को मारा पीटा गया परंतु उसने हार माननेकी बजाय विरोध स्वरूप 'मरण व्रत' धारण कर लिया। वस्तुत: यह कथा ब्राह्माणिक धर्म परंपरा के विरोध का उदाहरण है। यह विरोध मातंग के इन शब्दों में स्पष्ट झलकता है, ''जिन्हें अपने जन्म पर गर्व है पर अज्ञानी हैं, वे भेंट के पात्र नहीं हैं। इसके विपरीत जो दोषमुक्त हैं, वे भेंट के योग्य हैं। ''
अत: तीनों कथाओं में वर्ण-धर्म के पालन करने पर बल दिया गया है, परंतु साथ ही इस धर्म के विरुद्ध विरोध का स्वर स्पष्ट झलकता है।

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