अभिलेखशास्त्रियों की कुछ समस्याओं की सूची बनाइए।
अभिलेखों के अध्ययनकर्त्ता तथा विश्लेषणकर्त्ता को अभिलेखशास्त्री कहते हैं। अपने कार्य के संपादन में अभिलेखशास्त्रियों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
- अभिलेखशास्त्रियों को कभी-कभी तकनीकी सीमा का सामना करना पड़ता है। अक्षरों को हल्के ढंग से उत्कीर्ण किया जाता है जिन्हें पढ़ पाना कठिन होता है। कभी-कभी अभिलेखों के कुछ भाग नष्ट हो जाते हैं। इससे अक्षर लोप हो जाते हैं जिस कारण शब्दों/वाक्यों का अर्थ समझ पाना कठिन हो जाता है।
- कई अभिलेख विशेष स्थान या समय से संबंधित होते हैं, इससे भी हम वास्तविक अर्थ को नहीं समझ पाते।
- एक सीमा यह भी रहती है कि अभिलेखों में उनके उत्कीर्ण करवाने वाले के विचारों को बढ़ा-चढ़ाकर व्यक्त किया जाता है। अत: तत्कालीन सामान्य विचारों से इनका संबंध नहीं होता। फलत: कई बार ये जन-सामान्य के विचारों और कार्यकलापों पर प्रकाश नहीं डाल पाते। अत: स्पष्ट है कि सभी अभिलेख राजनीतिक और आर्थिक इतिहास की जानकारी प्रदान नहीं कर पाते।
- अनेक अभिलेखों का अस्तित्व नष्ट हो गया है या अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। अत: अब तक जो अभिलेख प्राप्त हुए हैं वे कुल अभिलेखों का एक अंश हैं।
- अभिलेखशास्त्रियों को अनेक सूचनाएँअभिलेखों पर नहीं मिल पातीं। विशेष तौर पर जनसामान्य से जुड़ी गतिविधियों पर अभिलेखों में बहुत कम या नहीं के बराबर लिखा गया है।
- अभिलेखों में सदा उन्हीं के विचारों को व्यक्त किया जाता है जो उन्हें उत्कीर्ण करवाते हैं। ऐसे में अभिलेखशास्त्री को अत्यंत सावधानी तथा आलोचनात्मक अध्ययन से इनकी सूचनाओं को परखना जरूरी होता है।