मुअनजोदड़ों की नगर-योजना आज के सैक्टर-मार्का कॉलोनियों के नीरस नियोजन की अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक है-टिप्पणी कीजिए।
मोहन-जोदड़ो की नगर योजना अनूठी थी। इसका नियोजन दुनियाभर में बेमिसाल है। यहाँ चौड़ी एवं सीधी सड़कें थीं। कुछ सड़कें आड़ी हैं। चबूतरे पर खड़े होकर शहर की गलियों एवं सड़कों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ जल-निकासी का भी बेहतर प्रबंध था। यह शहर 200 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला था। आबादी लगभग पचासी हजार। आज के नगरों की योजना सेक्टरों में बाँटकर की जाती है। सेक्टर मार्का कालोनियों के नीरस नियोजन की अपेक्षा मुअनजो-दड़ो का नगर नियोजन रचनात्मक था। नगर से 5 किमी. दूर सिंधु नदी बहती है। उच्च वर्ग और कामगारों की बस्तियाँ है। सामूहिक स्नानघर 4 x 25 x 7 फुट का है। नालियों का जाल बिछा होता था। सारा शहर व्यवस्थित और भली प्रकार नियोजित था।